अमेरिका के नोआ लाइल्स दुनिया के सबसे तेज मेंस एथलीट बन गए हैं. उन्होंने मेंस 100 मीटर की रेस में जमैका के किशेन थॉम्पसन को हराकर पेरिस ओलिंपिक का गोल्ड मेडल जीता. इस रेस के विजेता के ऐलान के लिए हर किसी को इंतजार करना पड़ा. दरअसल इस रेस के विजेता का ऐलान फोटो फिनिश से हुआ. नोआ और थॉम्पसन दोनों ने 9.79 सेकेंड में रेस पूरी की. ऐसे में किसी को नहीं पता था कि रेस का विजेता कौन बना. ऐसे में फोटो फिनिश का सहारा लिया और फिर ऐलान हुआ कि नोआ ने 5/1000वें सेकेंड मुकाबला जीता. उनकी टाइमिंग 9.79 (.784) रही, जबकि थॉम्पसन की टाइमिंग 9.79 (.789) रही. फोटो फिनिश की मदद से दुनिया को नया चैंपियन मिला.
1940 और 1950 के दशक में रेसिंग इंड्रस्टी में धोखाधड़ी को कम करने के लिए फोटो-फिनिश कैमरे विकसित किए गए थे. शुरुआत में घुड़दौड़ में इसका इस्तेमाल किया गया था. कैमरे को फिनिशिंग लाइन पर रखा जाता था. कैमरे का शटर हर सेकेंड में 136 इमेज कैप्चर करता था, जो उस वक्त चालू होता था जब कोई घोड़ा रेस ट्रैक पर एक पतला धागा तोड़ता था. समय के साथ इन कैमरों में और सुधार होते गए. फोटो फिनिश का इस्तेमाल ओलिंपिक में 1912 से ही किया जा रहा है, जब मेंस की 1500 मीटर रेस में इसका इस्तेमाल किया गया था.
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