भारतीय खिलाड़ी हरमिलन बैंस ने अपनी मां की तरह एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीत लिया है. हरमिलन ने एशियन गेम्स के 19वें एडिशन में 1500 मीटर की रेस में भारत को मेडल दिलाया. वो अपनी मां की तरह एशियाड में सिल्वर जीतने में सफल रही. भारतीय स्टार की मां ने 2002 एशियन गेम्स में 800 मीटर रेस में सिल्वर मेडल जीता था. उन्होंने अपनी मां की तरह एशियाड में सिल्वर मेडल तो जीत लिया है, मगर उनके पास अभी भी 800 मीटर रेस में अपनी मां से आगे निकलने का मौका है.
हरमिलन का कहना है कि वो 800 मीटर में अपना बेस्ट देने की कोशिश करेगी. हरमिलन अब मॉडलिंग में अपना करियर बनाना चाहती हैं. कुछ समय पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वो भविष्य में मॉडलिंग में करियर बनाना चाहती हैं, मगर उससे पहले वो अपने माता-पिता के लिए एशियन गेम्स में मेडल जीतना चाहती है और ये उनके परिवार का सपना है. हरमिलन अपने माता पिता से काफी प्रभावित हैं. दोनों से उन्हें प्रेरणा मिलती है.
मां के पेट में पहली रेस
दरअसल हरमिलन के माता-पिता दोनों एथलीट रह चुके हैं. उनकी मां माधुरी ने 2002 एशियाड में मेडल जीता था. जब वो मेडल जीतकर घर लौटी थीं तो छोटी हरमिलन उनके मेडल के साथ खेलती थी. वहीं उनके पिता अमनदीप मैंस 1500 मीटर में नेशनल चैंपियन रह चुके हैं. हरमिलन की मां जब तीन महीने की प्रेग्नेंट थीं, उस समय उन्होंने पंजाब बिजली विभाग की नौकरी के ट्रायल में 800 मीटर और 1500 मीटर दौड़कर नौकरी हासिल की थी. ऐसा भी कहा जाता है कि मां के पेट में हरमिलन की वो पहली रेस थी.
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