Strangle Open: देबोजीत दासगुप्ता, मानिनी पिलानिया ने सबमिशन ग्रैपलिंग में जीते गोल्ड, सिंगापुर में करेंगे भारत का झंडा बुलंद
स्ट्रैंगल ओपन नेशनल्स में देबोजीत दासगुप्ता और मानिनी पिलानिया ने क्रमश: प्रोफेशनल एडल्ट पुरुष व महिला कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीते.
Mon - 01 May 2023

स्ट्रैंगल ओपन नेशनल्स में देबोजीत दासगुप्ता और मानिनी पिलानिया ने क्रमश: प्रोफेशनल एडल्ट पुरुष व महिला कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीते. ये दोनों अब सिंगापुर में एडीसीसी एशिया ट्रायल में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाएंगे. पहली बार दुनिया के सबसे बड़े सबमिशन ग्रैपलिंग टूर्नामेंट में भारत को हिस्सा लेने का मौका मिला है. 29 अप्रैल को गुरुग्राम की मेड इजी स्कूल में हुए टूर्नामेंट में देशभर के 130 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. इसमें कई कैटेगरी में खिलाड़ियों ने चुनौती पेश की. इसके तहत 10-13 साल की कैटेगरी से लेकर प्रोफेशनल लेवल तक शामिल रहे. सभी विजेताओं को नकद इनामी राशि दी गई.
आरना सोनी ने 10-13 साल के बच्चों की कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता. 14-17 साल की कैटेगरी में यश मेहता चैंपियन बने. अमेच्योर पुरुष 55 किलो भारवर्ग में सुरेंद्र कुमार ने गोल्ड मेडल जीता जबकि अमेच्योर पुरुष 66 किलो तक के भारवर्ग में डोरा रेड्डी विजयी रहे. 77 किलो पुरुष वर्ग में दिनेश सिंह और अमेच्योर पुरुष (एब्सॉल्यूट) में कुनाल यादव गोल्ड मेडलिस्ट बने. एडल्ट महिला कैटेगरी में पिलानिया के गोल्ड के अलावा प्रोमा चटर्जी को सिल्वर और दिव्या भारद्वाज को कांस्य पदक मिला. एडल्ट पुरुष कैटेगरी में दासगुप्ता के बाद संजय नांबियार ने सिल्वर और कोलंबिया के मॉरिसियो ओकेंडो ने कांसा हासिल किया.
स्ट्रैंगल और रिबेल एमएमए एकेडमी के संस्थापक राजीव खाती ने टूर्नामेंट के बारे में बताया, 'स्ट्रैंगल ओपन का मकसद देश में सबमिशन ग्रैपलिंग की प्रतिभाओं की मदद करना है. हम यह तय करना चाहते हैं कि अमेच्योर खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने और स्किल्स को सुधारने के लिए सर्वश्रेष्ठ मंच मिले. पूरी दुनिया में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है. हमारा सपना है कि हमारे घरेलू खिलाड़ियों को भी सही मंच मिले और वे देश का प्रतिनिधित्व कर सकें.'
क्या है ग्रैपलिंग और कैसे मिलते हैं अंक
दरअसल, ग्रैपलिंग मार्शल आर्ट का ही एक हिस्सा है और इसमें सबमिशन होल्ड, जैसे चोकहोल्ड या आर्मबार की अनुमति है. ग्रैपलिंग का अर्थ है अपने प्रतिद्वंद्वी को ऐसी स्थिति में रखना जिससे अत्यधिक दर्द या चोट लगने का डर हो, जिससे उन्हें मैच की पेशकश करने और बाहर निकलने के लिए मजबूर किया जा सके.