भारतीय जूनियर एथलीट्स को अब इंटरनेशनल लेवल पर मेडल जीतने के बाद सरकार से नकद पुरस्कार नहीं मिलेगा. पॉलिसी बदलाव एक फरवरी 2025 से लागू हो चुका है. दरअसल खेल मंत्रालय का उद्देश्य डोपिंग और एज फ्रॉड के दोहरे खतरे से निपटना और युवा खिलाड़ियों में जीत की भूख को जिंदा रखना है. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए खेल मंत्रालय ने यह नीतिगत बदलाव किया.
अधिकारी का कहना है-
हमने नोटिस किया है कि केवल भारत में ऐसे मॉडल को फॉलो करता है, जहां जूनियर चैंपियनशिप को जयादा अहमियत दिया जाता है. नतीजतन , हमने देखा है कि एथलीट इस स्तर पर इतनी मेहनत करते हैं कि जब तक वे टॉप पर पहुंचते हैं, तब तक या तो वे थक जाते हैं या उनमें खेलने की भूख खत्म हो जाती है.
सीनियर एथलीट्स के लिए भी अवॉर्ड पॉलिसी में बदलाव किया गया है. मंत्रालय ने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप और साउथ एशियन गेम्स को अवॉर्ड लिस्ट से हटा दिया गया है. इंटरनेशरल मास्टर या ग्रैंडमास्टर जीतने वाले शतरंज प्लेयर्स को भी प्रोत्साहन नहीं मिलेगा.
10 फीसदी से ज्यादा जूनियर खिलाड़ी डोप टेस्ट में फेल
पिछले कुछ सालों में इनामी राशि को उन कारणों में से एक माना रहा है, जो खिलाड़ी और कोचों को एज फ्रॉड और डोपिंग जैसे अपराध करने के लिए उकसाते हैं. 13 जनवरी नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी डाटा के अनुसार भारत में डोप टेस्ट में फेल होने वालों में 10 फीसदी से अधिक नाबालिग हैं. यानी 204 में से 22 खिलाड़ी जूनियर लेवल के हैं.