ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञाननंद ने टाटा स्टील मास्टर्स का खिताब जीत लिया. इस युवा ने वर्ल्ड चैंपियन डी गुकेश को हराकर पहली बार इस टूर्नामेंट में विजेता बनने का गौरव हासिल किया. 19 साल के प्रज्ञाननंद ने पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए दुनिया के नंबर तीन खिलाड़ी को टाईब्रेकर में 2-1 से मात दी. दोनों ही खिलाड़ियों को 13वें राउंड में हार झेलनी पड़ी. इससे दोनों के 8.5 अंक थे. गुकेश को भारत के ही अर्जुन एरिगैसी ने हराया तो प्रज्ञाननंद को जर्मनी के विंशेंट कीमर से शिकस्त मिली. टाईब्रेकर में गुकेश और प्रज्ञाननंद के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली. दोनों ने एक-एक बाजी जीत ली. इसके बाद मामला सडन डेथ का आ गया. यहां पर प्रज्ञाननंद ने गुकेश की एक गलती का फायदा उठाया और विजेता बन गए.
प्रज्ञाननंदा ने जीत के बाद टूर्नामेंट की आधिकारिक वेबसाइट से कहा, ‘मेरे हाथ अब भी कांप रहे हैं. यह कितना रोमांच से भरा दिन था. मेरे पास इसे बताने के लिए शब्द नहीं है. मुझे वास्तव में जीत की उम्मीद नहीं थी लेकिन चीजें मेरे अनुकूल होती रही. मेरे लिए यह दिन खास है क्योंकि मैंने टूर्नामेंट जीता है. लेकिन निश्चित तौर पर यह तनाव से भरा दिन था. विंसेंट के खिलाफ मैं उस स्तर के आसपास भी नहीं खेल पाया, जिस स्तर पर मैं यहां खेल रहा था. मुझे अर्जुन को कोई उपहार देना चाहिए क्योंकि कई बार मुझे लगा कि गुकेश ने टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन किया. मैं जीत का लक्ष्य लेकर यहां आया था लेकिन चुनौती काफी कड़ी थी. मैं वास्तव में कल तक इसके बारे में ज्यादा नहीं सोच रहा था. मैं काफी थक चुका हूं और अब थोड़ा आराम करना चाहता हूं.’
गुकेश लगातार दूसरे साल टाइब्रेकर में हारे
गुकेश को लगातार दूसरे साल टाटा स्टील मास्टर्स में टाईब्रेकर में हार का सामना करना पड़ा. पिछली बार वह चीन के चीनी वेई यी से हार गए थे. वहीं प्रज्ञाननंद यहां पर विश्वनाथन आनंद के बाद जीतने वाले पहले भारतीय हैं. आनंद ने 2003, 2004 और 2006 कुल तीन बार यह खिताब जीता था. तब इस टूर्नामेंट को कोरस चेस टूर्नामेंट कहा जाता था. इससे पहले 1989 व 1998 में जब यह टूर्नामेंट अपने शुरुआती दिनों में था तब आनंद सयुंक्त विजेता बने थे.
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