पंजाब के किला रायपुर रूरल ओलिंपिक खेलों का आगाज 31 जनवरी से हो गया. 1933 से चले आ रहे इन खेलों में अबकी बार साढ़े छह हजार से ज्यादा खिलाड़ी ले रहे हैं. इनमें टीम खेल के साथ ही व्यक्तिगत स्पर्धाएं भी देखने को मिल रही हैं. किला रायपुर खेलों में न केवल पंजाब बल्कि दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से भी खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को परखने के लिए आए हैं. सबसे पहले हॉकी मैचों के साथ मुकाबले शुरू हुए. फिर खो खो, कबड्डी और आगे चलकर यहां पर स्टापू, घिग्गर फिस्सी, गिट्टे जैसे देसी खेल भी देखने को मिलेंगे. 2 फरवरी तक चलने वाले इन खेलों में बैलगाड़ी रेस को वापस लाने पर भी काम चल रहा है. आने वाले एडिशन में यह रोमांचक खेल फिर से किला रायपुर खेलों में नज़र आ सकता है.
उन्होंने आगे कहा, 'पिछले तीन साल से हम कोशिश कर रहे हैं कि उसे कानून बनाया जाए. इसे राष्ट्रपति की अनुमति लेकर लागू किया जाए. इस बारे में केंद्र सरकार के मंत्रियों से भी संपर्क किया गया. पिछले साल 24 फरवरी को राष्ट्रपति की सहमति इस पर आ गई. इसके बाद बैलगाड़ी रेस को लेकर नियम बनाने थे कि किसी तरह की क्रूरता न हो. पशुपालन विभाग की तरफ से वह काम भी हो गया है. सरकार के पास यह सुझाव जा चुके हैं. अब जब विधानसभा का सत्र बैठेगा तब वहां उसे पास किया जाएगा और वह कानून बन जाएगा. इसके बाद हम यहां पर बैलगाड़ी रेस शुरू कर देंगे.'
हॉकी विजेता को मिलता है एक किलो सोने का कप
किला रायपुर खेलों में हॉकी इवेंट की भी धूम रहती है. इसमें जीतने वाली टीम को एक किलो सोने से बना कप मिलता है. वहीं फाइनल हारने वाली टीम को एक किलो चांदी का कप दिया जाता है. हॉकी के लिए महिला और पुरुष दोनों कैटेगरी में आठ-आठ टीमें हिस्सा ले रही हैं. सबसे पहले महिला टीमों के बीच मैच खेले गए.
दर्शक भी करते हैं इनामी रकम का ऐलान