डेढ़ साल के बेटे का मुंह दबाना पड़ा, आंखों के सामने घर जला, 10 महीने बीतने के बावजूद कम नहीं हुआ भारतीय खिलाड़ी का मणिपुर हिंसा का दर्द, कहा- मेरा परिवार...

डेढ़ साल के बेटे का मुंह दबाना पड़ा, आंखों के सामने घर जला, 10 महीने बीतने के बावजूद कम नहीं हुआ भारतीय खिलाड़ी का मणिपुर हिंसा का दर्द, कहा- मेरा परिवार...
मणिपुर हिंसा से पहले चिंगलेनसाना का परिवार

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Manipur violence: मणिपुर हिंसा में भारतीय फुटबॉलर चिंगलेनसाना का भी सब कुछ तबाह हो गया था

Chinglensana singh: चिंगलेनसाना सिंह अब परिवार के लिए नया घर बनवा रहे हैं

Chinglensana singh, Manipur violence: मणिपुर हिंसा में भारतीय खिलाड़ी चिंगलेनसाना सिंह का सब कुछ तबाह हुए करीब 10 महीने बीत गए हैं, मगर उनका दर्द अभी भी कम नहीं हुआ. वो सब कुछ सभी करने के लिए अभी तक जूझ रहे हैं. उस रात का दर्द ना तो वो भुला पाए और ना ही उनका परिवार. 3 मई 2023 को मणिपुर में हिंसा हुई. सरकारी आंकड़ों के अनुसार उस हिंसा में करीब 175 लोग मारे गए. 5 हजार घर जला दिए गए. 70 हजार लोग बेघर हो गए. लोगों को रिफ्यूजी कैंप में रहना पड़ा. इस हिंसा का शिकार भारतीय फुटबॉलर चिंगलेनसाना भी हुए. उन्‍होंने ESPN को उस दर्द के बारे में बताया, जिससे वो गुजरे और उनका परिवार गुजरा. उन्‍होंने बताया कि पिछले 10 महीने से उनका परिवार किस सदमे से गुजर रहा है. उसका परिवार नई शुरुआत के लिए लड़ रहा है.

उन्‍होंने बताया कि बात 3 मई थी. वो AFC प्‍लेऑफ में बेंगलुरु एफसी की तरफ से मोहन बागान के खिलाफ खेल रहे थे. मैच के बाद उन्‍होंने देखा कि उन्‍हें परिवार के काफी मिस्‍ड कॉल और मैसेज आए हैं. जिसे देखकर वो टेंशन में आ गए. जिसके बाद उन्‍हें मणिपुर की स्थिति के बारे में पता चला. उनका परिवार मणिपुर में घर के अंदर बंद था. वो लोग शांति से घर में छुपे हुए थे. कुछ लोग सड़क पर बंदूक के साथ घूम रहे थे. फायरिंग कर रहे थे. ऐसे में उनका परिवार बिना शोर किए घर में छुप गया. उनके भाई का बेटा करीब डेढ साल का था, जो रोने लगा था. उनके परिवार को मजबूरी में छोटे बच्‍चे का मुंह दबाना पड़ा, ताकि आवाज बाहर ना जाए. भारतीय फुटबॉलर ने बताया कि वो उनके लिए बहुत डरावना पल था. उस वक्‍त उनके परिवार को उनकी जरूरत थी.

परिवार का किया गया रेस्‍क्‍यू

उन्‍होंने आर्मी में मौजूद अपने कुछ दोस्‍तों को फोन कॉल किए. वो उस दिन सुबह 4.30 बजे तक फोन कॉल पर थे.  उन्‍होंने परिवार को फोन रखने के लिए मना कर दिया था. इसके बाद उन्‍होंने एक मेजर से बात की और परिवार को अगली सुबह वहां से निकालने का इंतजाम किया. जिसके बाद परिवार को नजदीक के आर्मी कैंप में ले जाया गया. 4 मई को परिवार रेस्‍क्‍यू के बाद उन्‍हें मालूम चला कि उनका घर चला दिया गया है. उनके जानने वालों ने वीडियो भेजे. उन्‍हें वीडियो कॉल किए गए, जिसमें उन्‍होंने देखा कि उनके घर से धुंआ निकल रहा है. वो पल उनके लिए बहुत दर्दनाक था. जिसके बाद वो परिवार के मना करने के बावजूद उनके पास गए. चिंगलेनसाना का कहना है कि सबसे अहम बात ये है कि वो लोग जिंदा हैं.

 

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