AFG vs NZ Test: ग्रेटर नोएडा के लिए अब अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी मुश्किल, ICC लगाएगा बैन! जवागल श्रीनाथ की रिपोर्ट से होगा फैसला

ग्रेटर नोएडा में भारतीय क्रिकेट बोर्ड घरेलू क्रिकेट के मैच भी नहीं कराता है. उसने आखिरी बार यहां पर 2019 में विजय हजारे ट्रॉफी के मैच कराए थे.

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Shakti Shekhawat

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जवागल श्रीनाथ अफगानिस्तान-न्यूजीलैंड टेस्ट के मैच रेफरी हैं.

जवागल श्रीनाथ अफगानिस्तान-न्यूजीलैंड टेस्ट के मैच रेफरी हैं.

Story Highlights:

ग्रेटर नोएडा स्टेडियम को पहली बार किसी टेस्ट मैच की मेजबानी मिली थी.

लगातार बारिश और गीले मैदान के चलते अफगानिस्तान-न्यूजीलैंड टेस्ट शुरू ही नहीं हो सका.

अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच इकलौते टेस्ट मैच में जिस तरह से ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स की अव्यवस्थाएं सामने आई हैं, उससे इस स्टेडियम पर बैन का खतरा मंडरा रहा है. बारिश और गीले मैदान के चलते तीन दिन का खेल बिना टॉस के रद्द हो गया. मैच के दूसरे दिन बारिश नहीं हुई और धूप निकली थी फिर भी मैदान को खेल के लिए तैयार नहीं किया जा सका. इससे यहां पर भविष्य में किसी तरह के इंटरनेशनल मैच का हो पाना बहुत मुश्किल है. अफगानिस्तान ने अपनी सहूलियत के तहत इस मैदान को इकलौते टेस्ट के लिए चुना था. लेकिन बारिश ने उसकी सभी योजनाओं पर पानी फेर दिया.

 

भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई यहां पर घरेलू क्रिकेट के मैच भी नहीं कराता है. उसने आखिरी बार यहां पर 2019 में विजय हजारे ट्रॉफी के मैच कराए थे. इसके बाद से यहां कोई मुकाबला नहीं हुआ. अब जिस तरह के हालात यहां देखने को मिले हैं उससे आने वाले समय में भी बीसीसीआई का किसी तरह का मैच कराना नामुमकिन जैसा है. भविष्य में यहां पर इंटरनेशनल क्रिकेट होने की उम्मीद भी मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ की रिपोर्ट के भरोसे हैं. आईसीसी हरेक इंटरनेशनल मैच के बाद रेफरी की रिपोर्ट के आधार पर पिच और स्टेडियम को रेटिंग देता है. अगर रिपोर्ट खराब रहती है तब डिमेरिट पॉइंट मिलते हैं.

 

स्टेडियम की रेटिंग पर क्या कहते हैं ICC के नियम

 

2023 में लागू हुई आईसीसी ‘पिच और आउटफील्ड मॉनिटरिंग प्रक्रिया’ के अनुसार, ‘प्रत्येक मैच के बाद, मैच रेफरी पिच और आउटफील्ड रिपोर्ट से जुड़ी फॉर्म को आईसीसी के सीनियर क्रिकेट संचालक के प्रबंधक को भेजेगा. ‘पिच और आउटफील्ड रिपोर्ट फॉर्म’ में मैच रेफरी के साथ अंपायरों और दोनों टीमों के कप्तानों की टिप्पणियां भी होती हैं. रिपोर्ट मिलने के 14 दिन के अंदर आईसीसी सीनियर क्रिकेट संचालक के प्रबंधक इसे मेजबान बोर्ड को भेजकर स्टेडियम पर लगाये गए डिमेरिट अंकों की जानकारी देते हैं.

 

आईसीसी अनुच्छेद के अनुसार, ‘ मैच रेफरी के पास अगर पिच और/या आउटफील्ड को असंतोषजनक या अनफिट रेटिंग देने का कारण है, तो मेजबान स्थल पर पिचों की रेटिंग के दिशानिर्देशों के अनुसार डिमेरिट अंक दिये जाएंगे.’ ये डिमेरिट अंक पांच साल तक लगू रहते है. ग्रेटर नोएडा स्थल के नाम अगर छह या उससे अधिक डिमेरिट अंक हो जाते है तो उसे 12 महीने तक अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी से बैन कर दिया जाएगा.

 

ग्रेटर नोएडा स्टेडियम बैन से कैसे बचेगा?

 

ग्रेटर नोएडा स्टेडियम के पक्ष में बस यह बात जा सकती है कि आईसीसी नियमों के मुताबिक एक मैच के लिए अधिकतम तीन डिमेरिट अंक दिए जा सकते हैं. इसका मतलब है कि बैन करने के लिए एक से अधिक मैच की जरूरत होती है. अब यहां पर इंटरनेशनल मैच इस बात पर टिका है कि क्या अफगानिस्तान आगे कभी यहां पर मेजबानी करता है. हालांकि यह भी मुश्किल लग रहा है.

 

BCCI ग्रेटर नोएडा स्टेडियम को कर चुका है बैन

 

ग्रेटर नोएडा स्टेडियम 2013 से ऑपरेशनल है. यहां पर 2016 में दलीप ट्रॉफी के मैचेज भी कराए गए थे. लेकिन 2017 में बीसीसीआई ने इस स्टेडियम को बैन कर दिया गया था. ऐसा कॉर्पोरेट मैचेज में फिक्सिंग के चलते हुआ था.

 

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