क्रिकेट इतिहास में अब तक खिलाड़ी अलग अलग अंदाज में आउट होते आए हैं. लेकिन कई बार ऐसा होता है जब एक बल्लेबाज कुछ ऐसा कर देता है कि अंपायर को उसे आउट देना पड़ाता है. काउंटी चैंपियनशिप में भी लुईस किंबर के साथ कुछ ऐसा ही हुआ जब उन्हें बॉल रोकने के चक्कर में पवेलियन भेज दिया गया. ये मैच ग्लॉसेस्टरशर और लेस्टरशेर के बीच ब्रिस्टल क्रिकेट ग्राउंड पर खेला गया. लेस्टरशर ने पहले बल्लेबाजी चुनी जहां किंबर बेहतरीन फॉर्म में नजर आ रहे थे.
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ब्रेनफेड का शिकार हुआ बल्लेबाज
ये बल्लेबाज 66 गेंद पर 34 रन बना चुका था. लेकिन एक गेंद ने इस बल्लेबाज का दिमाग पूरी तरह सन्न कर दिया. इस बल्लेबाज को समझ ही नहीं आया कि वो क्या करे. स्पिनर ने बॉल फेंकी और किंबर ने पहले गेंद को बैट से रोका और फिर गेंद को हाथ से रोक दिया. उन्होंने गेंद को हाथ में लिया और फिर उसे छोड़ दिया. हालांकि गेंद स्टम्प्स की तरफ बढ़ रही थी और इस दौरान बल्लेबाज को समझ नहीं आया कि वो क्या करे.
ग्लॉसेस्टशर के खिलाड़ियों ने बल्लेबाज को ऐसा करता देख तुरंत अपील करना शुरू कर दिया. दोनों अंपायरों से बातचीत करने के बाद बल्लेबाज को आउट दे दिया. हालांकि इस विकेट को गेंदबाज के खाते में नहीं दिया गया बल्कि इसे ऑब्सट्रक्टिंग दी फील्ड करार दे दिया गया.
क्या होता है ऑब्सट्रक्टिंग दी फील्ड नियम
नियम 37.1.1- कोई भी बल्लेबाज ऑब्सट्रक्टिंग द फील्ड होता है अगर वह गेंद को खेलने के बाद जानबूझ कर विपक्षी टीम के फील्डर्स के काम में बाधा पहुंचाया या अपने शब्दों और ऐक्शन से उनका ध्यान भटकाए.
37.1.2 - स्ट्राइकर अगर जानबूझकर गेंद को अपने हाथ से मारे जब उसन बैट हाथ में न पकड़ा हो. वह आउट माना जाएगा भले ही यह पहली हिट या फिर दूसरी या उसके बाद ही. इसके साथ ही गेंद को खेलते समय और हिट करते समय आप अपना विकेट बचाने के लिए एक बार से ज्यादा ऐसा नहीं कर सकते.
37.2- ऑब्सट्रक्टिंग द फील्ड पर आउट नहीं
एक बल्लेबाज ऑब्सट्रक्टिंग द फील्ड पर आउट नहीं होगा अगर फील्डिंग में बाधा या ध्यान भटकाना जानबूझकर नहीं किया गया है. या ऑब्स्ट्रकशन चोट से बचने के लिए किया गया हो या अगर स्ट्राइकर नियमानुसार गेंद को दो बार हिट कर जो नियम (34.3) के तहत आता है. यानी गेंद बल्ले या शरीर से लगकर विकेट की ओर जा रही हो तो बल्लेबाज गेंद को बल्ले से रोक सकता है.
बता दें कि, साल 2006 में भारत- पाकिस्तान मुकाबले के दौरान इंजमाम उल हक ने सुरेश रैना के जरिए फेंके गए थ्रो को अपने बल्ले से रोक लिया था. उस दौरान पिच के बीच में थे. ऐसे में उन्होंने अंत में आउट दे दिया.
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