वर्ल्ड कप 2023 में भारतीय क्रिकेट टीम फाइनल में पहुंच गई. रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम 10 में से 10 मैच जीतकर खिताबी मुकाबले में दाखिल हुई है जहां पर उसकी टक्कर ऑस्ट्रेलिया से है. इस बार वर्ल्ड कप में भारत की कामयाबी में बहुत से खिलाड़ियों का योगदान रहा. इनमें कप्तान रोहित के अलावा विराट कोहली, मोहम्मद शमी, श्रेयस अय्यर जैसे नाम शामिल हैं. लेकिन एक नाम ऐसा है जो दोहरी भूमिका निभा रहा है और दोनों में टीम इंडिया का संकटमोचक बना हुआ है लेकिन उसकी चर्चा बहुत कम हो रही है. यह खिलाड़ी है केएल राहुल. वह विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर भारतीय टीम का हिस्सा हैं.
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राहुल ने बल्ले से कई बार टीम के लिए बेहतरीन पारी खेलने के साथ विकेट के पीछे कुछ कमाल के कैच लपके हैं और डीआरएस (डिसीजन रिव्यू सिस्टम) से जुड़े फैसलों में वह कप्तान के सच्चे सिपहसालार साबित हुए है. पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के समय डीआरएस पर उनके सही फैसलों के कारण भारतीय क्रिकेट में इसे ‘धोनी रिव्यू सिस्टम’ कहा जाता था. अब राहुल की काबिलियत से इसे ‘डिसीजन राहुल सिस्टम’ कहा जाने लगा है. रोहित की विस्फोटक बल्लेबाजी, विराट कोहली का संयमित खेल और मोहम्मद शमी की कातिलाना गेंदबाजी के सामने भले ही राहुल की बल्लेबाजी की चर्चा अधिक ना हो लेकिन मौजूदा विश्व कप में जब भी टीम को उनके बल्ले से योगदान की जरूरत थी उन्होंने ने अपनी इस भूमिका को पूरी तरह से निभाया. राहुल ने इस दौरान 99 की स्ट्राइक रेट और 77 के औसत से 386 रन बनाए.
राहुल को माना जाता है अंडर अचीवर
भारतीय टीम के लिए डेब्यू के बाद से ही कौशल के मामले में राहुल को कोहली और रोहित जैसा प्रतिभाशाली खिलाड़ी माना जाता है लेकिन लचर शॉट खेलकर आउट हो जाने के कारण वह अतीत में उस रुतबे को हासिल नहीं कर पाए. यही कारण है कि सिडनी, लॉर्ड्स और सेंचुरियन जैसे मैदान पर शतक लगाने वाले इस खिलाड़ी को भारतीय क्रिकेट में ‘अंडर-अचीवर (उम्मीद से कम सफलता पाने वाला)’ माना जाता है. राहुल के करियर में शानदार बल्लेबाजी के बीच कुछ ऐसे भी क्षण आये जब उन्हें खुद भी अपनी बल्लेबाजी की काबिलियत पर शक होने लगा. ऐसी स्थिति में विकेटकीपर की भूमिका निभाने से उनके मन का संदेह दूर हुआ और बल्ले से भी उनके प्रदर्शन में काफी सुधार आया.
वर्ल्ड कप 2023 के सबसे सफल कीपर हैं राहुल
मौजूदा टूर्नामेंट में 10 मैचों में उन्होंने 16 (15 कैच और एक स्टंपिंग) शिकार किए हैं. वह विकेट के पीछे सबसे ज्यादा शिकार के मामले में सिर्फ दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज क्विंटन डिकॉक से ही पीछे है. ऐसे खिलाड़ी जो कुछ समय पहले तक कीपिंग नहीं करता था उसके लिए यह बड़ी उपलब्धि है. डीआरएस से जुड़े फैसले के बारे में राहुल के निर्णय शानदार रहे हैं. भारत के पूर्व कीपर दीप दासगुप्ता का कहना है कि इसका कारण स्टंप के पीछे उनका ‘परफेक्ट फुटवर्क’ है क्योंकि उन्हें इस बात का सटीक अंदाजा है कि गेंद कहां खत्म होगी. गुप्ता ने कहा, ‘डीआरएस केवल विकेटकीपर का निर्णय नहीं है. विकेटकीपर न तो ‘इंपैक्ट’ और न ही ऊंचाई का अनुमान लगा सकता है. ‘इंपैक्ट (गेंद का स्टंप के सामने या बाहर होना)’ आम तौर पर गेंदबाज का निर्णय होता है या मिड-ऑन या मिड-ऑफ पर खड़े कप्तान का निर्णय होता है.’
पूर्व कीपर ने बताया डीआरएस में क्या है अहम
दासगुप्ता ने पूरी प्रक्रिया समझाते हुए कहा, ‘स्क्वेयर लेग अंपायर के बगल में खड़ा खिलाड़ी गेंद की उंचाई पर नजर रखता है जबकि कीपर को उसके मूवमेंट से पता चल जाएगा कि गेंद कहां खत्म होगी.’ डीआरएस से जुड़े सही फैसलों के मामले में धोनी माहिर थे. दासगुप्ता ने कहा कि धोनी के समय डीआरएस से जुड़े फैसले बेकार नहीं जाते थे. उन्होंने कहा, ‘अगर आप संख्या देखें तो धोनी के अधिकांश डीआरएस की मांग ‘अंपायर्स कॉल’ के साथ गए हैं. इसलिए जब भारत के पक्ष में कोई निर्णय नहीं मिला, तो भी वह कम से कम डीआरएस को बचाये रखने में सफल रहे. गलती की गुंजाइश काफी कम रहती थी. राहुल के साथ भी ऐसा ही है. वह ऐसे खिलाड़ी है जो इस मामले में अधिक उत्साह दिखाने वाले गेंदबाज पर काबू कर सकते है.’
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