भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने भारत-इंग्लैंड ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट के दौरान क्रिकेट के मौजूदा कन्कशन सब्सटीट्यूट नियम की तीखी आलोचना की और कहा कि यह कुछ नहीं बल्कि उन अक्षम बल्लेबाजों के लाभ के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक रिप्लेसमेंट है, जो शॉर्ट पिच गेंदबाजी को नहीं झेल सकते.
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गावस्कर का यह कमेंट भारतीय विकेटकीपर ऋषभ पंत के बुधवार को मैनचेस्टर में बल्लेबाजी करते समय पैर की अंगुली में फ्रैक्चर होने के बाद आया है, जिसके बाद उन्होंने दर्द में मैदान पर वापसी की और बैटिंग करते हुए भारत की पहली पारी में अर्धशतक बनाया. सोनी स्पोर्ट्स पर क्रिकेट में लाइक फॉर लाइक सब्सिट्यू पर चर्चा के दौरान गावस्कर ने सबसे पहले मौजूदा कन्कशन सब्सटीट्यूट नियम पर सवाल उठाया, जो चोटों की नेचर को सीमित करता है जिसके लिए एक खिलाड़ी को मैच में बल्लेबाजी और गेंदबाजी के लिए रिप्लेस किया जा सकता है, ना कि केवल फील्डिंग जरूरत को पूरा करने के लिए, जैसा कि विकेटकीपर ध्रुव जुरेल मैच के बाकी हिस्सों में पंत के लिए करेंगे.
गावस्कर ने इस नियम पर कहा-
मुझे हमेशा से लगता रहा है कि आप किसी अयोग्य खिलाड़ी को उसकी जगह एक जैसा विकल्प दे रहे हैं. अगर आप शॉर्ट पिच गेंदें खेलने में सक्षम नहीं हैं, तो टेस्ट क्रिकेट मत खेलिए, टेनिस या गोल्फ खेलिए आप किसी ऐसे खिलाड़ी को उसकी जगह एक जैसा विकल्प दे रहे हैं जो शॉर्ट पिच गेंदें नहीं खेल सकता और हिट हो जाता है.
हालांकि गावस्कर ने कहा कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल को नियमों की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि चोटों के लिए कुछ रिप्लेसमेंट की अनुमति मिल सके, जैसे कि पंत को एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में चौथे टेस्ट के पहले दिन तेज गेंदबाज क्रिस वोक्स की गेंद पर रिवर्स स्वाइप करने की कोशिश में चोट लगी.
यहां यह एक साफतौर पर चोट (पंत) है. इसके लिए एक विकल्प होना चाहिए. मैं चाहता हूं कि इस पर फैसला लेने के लिए किसी तरह की समिति नियुक्त की जाए.
आईसीसी के अध्यक्ष जय शाह है् आईसीसी में कई भारतीय कई पदों पर हैं, ऐसे में गावस्कर ने कहा कि निष्पक्षता बनाए रखने के लिए एक नई समिति रिप्लेसमेंट भूमिकाओं पर विचार कर सकती है.
इसलिए हम नहीं चाहते कि यहां और ऑस्ट्रेलिया में मीडिया के लिए ऐसी स्थिति पैदा हो कि वे कहें कि ओह, क्योंकि यह भारत का मामला है, इसलिए उन्होंने ऐसा करना शुरू कर दिया है. इसलिए इन चोटों की जांच के लिए एक बिल्कुल अलग समिति बनाई जाए, जिसमें डॉक्टर वगैरह भी शामिल हों और उसी समिति को निर्णय लेने दिया जाए.
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