अनुभवी ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा ने साफ कहा कि साउथ अफ्रीका से ये सीरीज हार भी गए तो भी अगले महीने अगस्त में श्रीलंका में होने वाली टेस्ट सीरीज पर कोई बुरा असर नहीं होगा. उनके मुताबिक इस आखिरी टेस्ट को अगर ड्रॉ भी करा लिया तो नई-नवेली टीम के लिए वो जीत से कम नहीं होगा.
ADVERTISEMENT
7 फरवरी को भारत का पहला मुकाबला, जानें किस ग्रुप में सूर्य की टीम
ड्रॉ करना ही बड़ी जीत होगी
दूसरा टेस्ट अब भारत के हाथ से लगभग निकल चुका है. 549 रन का लक्ष्य आखिरी दिन चेज करना लगभग नामुमकिन है. चौथे दिन का खेल खत्म होने के बाद जडेजा ने रिपोर्टरों से कहा, “मुझे नहीं लगता कि इस हार का अगली सीरीज पर कोई असर पड़ेगा. लेकिन कोई भी खिलाड़ी सीरीज हारना नहीं चाहता, खासकर अपने घर में. कल हम अपना पूरा दम लगाएंगे. हम मैच को ड्रॉ करने की पूरी कोशिश करेंगे. हमारे लिए ये ड्रॉ भी जीत जैसा ही होगा.”
युवा खिलाड़ियों के लिए ये सीख का मौका है
बता दें कि, टीम में यशस्वी जायसवाल, साई सुदर्शन, नितीश रेड्डी, ध्रुव जुरेल, वॉशिंगटन सुंदर जैसे कई नए लड़के हैं जो अभी टेस्ट क्रिकेट में कदम रख रहे हैं. जडेजा ने कहा, “ये सारे लड़के अभी सीख रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट आसान नहीं होता. घर में हारते हैं तो सब कहते हैं कि टीम बहुत युवा है, अनुभव कम है. लेकिन जब यही टीम घर में जीतती है तो कोई बड़ी बात नहीं लगती. अगर ये युवा इस दबाव को अच्छे से झेल लेते हैं तो आगे चलकर बहुत मजबूत खिलाड़ी बनेंगे और भारत का भविष्य शानदार होगा.”
पिच से फर्क पड़ा
जडेजा ने माना कि पिच और मौसम ने बहुत फर्क डाला. “पहले दो दिन जब हम गेंदबाजी कर रहे थे तो विकेट बिल्कुल सपाट था, शीशे जैसा चमक रहा था. कोई निशान तक नहीं. लेकिन जब साउथ अफ्रीका दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने आया तो तेज गेंदबाजों ने विकेट पर निशान बना दिए. फिर स्पिनरों को टर्न और उछाल दोनों मिलने लगे.” उन्होंने ये भी कहा कि दोनों मैचों में टॉस हारने का भी नुकसान हुआ. “टॉस खेल का हिस्सा है, लेकिन असर डालता है. जब आप पहले गेंदबाजी करते हो और विकेट पर कुछ नहीं हो रहा तो स्पिनर साधारण लगती है. लेकिन जब आप 300 रन से आगे होकर गेंदबाजी करते हो तो हर गेंदबाज खतरनाक दिखने लगता है.”
15 फरवरी को भारत और पाकिस्तान के बीच महामुकाबला, जानें सभी ग्रुप्स और वेन्यू
ADVERTISEMENT










