एक खिलाड़ी जिसने दो साल से वनडे नहीं खेला. लेकिन जब टीम में दो खिलाड़ी चोटिल हुए तो उसे बुलाया गया. वह सुबह चार बजे होटल पहुंचता है. दोपहर में जब स्टेडियम के लिए रवानगी होती है तब टीम से मुलाकात होती है. फिर शाम में वह टीम के लिए सुपर ओवर फेंक रहा होता है. इसमें पहली दो गेंद सही से नहीं डाल पाता, वाइड और नो बॉल से चार रन विरोधी टीम को मिल जाते हैं जबकि उसे 11 रन ही जीत के लिए चाहिए होते हैं. यह गेंदबाज सुपर ओवर में टारगेट बचाता है और टीम को जीत दिला देता है. यह कहानी है वेस्ट इंडीज के स्पिनर अकील हुसैन की.
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अकील ने 21 अक्तूबर को बांग्लादेश के खिलाफ ढाका में खेले गए दूसरे वनडे में वेस्ट इंडीज की जीत में अहम भूमिका निभाई. वह दो साल बाद वनडे खेलने उतरे थे. उन्होंने स्पिनर्स की मददगार पिच पर नई गेंद संभाली और 10 ओवर में 41 रन देकर दो विकेट लिए. फिर बैटिंग में भी 16 रन की अहम पारी खेलते हुए मैच टाई कराया. इसके बाद उन पर सुपर ओवर डालने का जिम्मा आया. इसमें अकील ने केवल नौ ही रन दिए और वेस्ट इंडीज को जीत दिला दी.
अकील बोले- शरीर में जान नहीं बची
अकील ने मैच के बाद कहा, मुझे नहीं लगता कि मेरे शरीर में जान बची है. सुबह 4 बजे ही तो होटल पहुंचा था लेकिन यह काम का हिस्सा है. एक बार जब किसी चीज के लिए हामी भर देते हैं तो फिर पूरी तरह से तैयार रहो और 100 फीसदी जान लगा दो. कोई बहाना नहीं और मैंने लगभग चीजें बिगाड़ दी थी लेकिन आखिर में टीम को जीत दिला दी.
अकील ने रिशाद को सुपर ओवर में नहीं भेजने पर जताई हैरानी
बांग्लादेश ने सुपर ओवर में सौम्य सरकार और सैफ हसन को बैटिंग के लिए उतारा था. अकील ने लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन वाले बल्लेबाजों के सामने उन्होंने बढ़िया बॉलिंग की. सरकार के सामने उनकी गेंद अंदर आई तो हसन के लिए बाहर गई. इससे दोनों ही खुलकर नहीं खेल सके. अकील ने इस बात पर हैरानी जताई कि बांग्लादेश ने रिशाद हुसैन को बैटिंग के लिए नहीं भेजा. उन्होंने नियमित ओवर्स के दौरान 14 गेंद में 39 रन की नाबाद पारी खेली थी. अकील ने कहा कि उस खिलाड़ी ने मैच में सबसे विस्फोटक खेल दिखाया. इसके बाद भी उनका सुपर ओवर में नहीं आना हैरान करता है.
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