मोहम्मद सिराज ने भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली है. घरेलू मैदानों पर और विदेशी पिचों पर उनकी शानदार गेंदबाजी ने सबका ध्यान खींचा है. लेकिन, उनकी यह कामयाबी आसान नहीं थी. सिराज ने यहां तक पहुंचने के लिए काफी मुश्किलों का सामना किया है. वहीं उनकी मेहनत ही है जो उन्हें यहां तक लेकर आई है.
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ट्रोलिंग का दर्द
कुछ साल पहले, जब सिराज का प्रदर्शन अच्छा नहीं था, तब सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें काफी ज्यादा ट्रोल किया था. कुछ ने तो उनके पिता के ऑटो रिक्शा चलाने का भी मजाक उड़ाया. सिराज ने बताया, "जब आप अच्छा खेलते हैं, तो लोग कहते हैं कि सिराज जैसा गेंदबाज कोई नहीं. लेकिन अगले मैच में अगर आपका प्रदर्शन खराब हो, तो वही लोग कहते हैं, 'ये कैसा गेंदबाज है? जाओ, अपने पिता के साथ ऑटो चलाओ.'"
हीरो से जीरो तक
सिराज ने कहा कि एक मैच में लोग आपको हीरो बनाते हैं और अगले ही मैच में जीरो. उन्होंने बताया कि ऐसी बातें सुनकर दुख होता था, लेकिन उन्होंने इन आलोचनाओं को नजरअंदाज करना सीख लिया.
आलोचना से ऊपर उठने की सीख
सिराज ने समझ लिया कि दूसरों की राय पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, "मैंने फैसला किया कि मुझे बाहरी लोगों की राय या तारीफ की जरूरत नहीं. मेरे लिए मेरे साथी खिलाड़ी और परिवार की राय मायने रखती है. बाकी लोग क्या सोचते हैं, मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता."
शानदार वापसी और मजबूत इरादे
सिराज की वापसी उनकी मानसिक ताकत को दिखाती है. उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ धांसू प्रदर्शन किया और सीरीज ड्रॉ कराई. खासकर तब, जब स्टार गेंदबाज जसप्रीत बुमराह चोट और वर्कलोड मैनेजमेंट की वजह से नहीं खेल रहे थे. सिराज ने बार-बार अपनी काबिलियत साबित की.
वेस्टइंडीज के खिलाफ जीत और ऑस्ट्रेलिया का इंतजार
हाल ही में वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में सिराज ने शानदार प्रदर्शन किया. अब वह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अपनी फॉर्म को बरकरार रखने की कोशिश करेंगे और उम्मीद करेंगे कि वो फिर से तगड़ा प्रदर्शन करें.
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