'मैं उस रात खूब रोया था', ऑस्ट्रेलिया से मिली हार के बाद जब टूट गए थे गौतम गंभीर, कहा- मैं बदला लेना चाहता था

गौतम गंभीर को साल 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार के बाद काफी ज्यादा दुख हुआ था. वो पूरी रात रोए थे और फिर वो टीम इंडिया के लिए वर्ल्ड कप जीतना चाहते थे.

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Neeraj Singh

इवेंट के दौरान गौतम गंभीर

इवेंट के दौरान गौतम गंभीर

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गौतम गंभीर ने अपने बचपन का सपना बताया हैगंभीर ने कहा कि वो 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार के बाद काफी ज्यादा रोए थे

टीम इंडिया के पूर्व ओपनर गौतम गंभीर ने अपने करियर में सबकुछ हासिल किया है. गंभीर ने एक बार नहीं बल्कि दो बार आईसीसी ट्रॉफी अपने नाम की है. इसमें 2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप शामिल है. साल 2003 से अपने करियर की शुरुआत करने वाले गंभीर ने टी20 वर्ल्ड कप 2007 में भारत के लिए सबसे ज्यादा 75 रन बनाए थे. इस दौरान टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को हराया था.

 

वहीं साल 2011 के फाइनल में भी गंभीर ने टीम इंडिया के लिए श्रीलंका के खिलाफ 97 रन की पारी खेली थी और वनडे वर्ल्ड कप खिताब जीत के लंबे इंतजार को खत्म किया था. इसके अलावा आईपीएल में गंभीर अपनी कप्तानी में दो बार कोलकाता नाइट राइडर्स को चैंपियन बना चुके हैं. वहीं साल 2024 में अपनी मेंटॉरशिप में गंभीर ने केकेआर को चैंपियन बनाया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गंभीर ने जब वर्ल्ड कप जीतने का सपना देखा था तब उनकी उम्र सिर्फ 11 साल थी.

 

मैं पूरी रात रोया था: गंभीर

 

स्पोर्ट्सकीड़ा से खास बातचीत में केकेआर के मेंटॉर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जब टीम इंडिया को वर्ल्ड कप मुकाबले में हार मिली थी तब वो पूरी रात रोए थे. गंभीर ने कहा कि मुझे साल 1992 का भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुकाबला याद है जो टीम इंडिया 1 रन से हार गई थी. ऐसे में मैं उस दिन पूरी रात रोया था. मैं इससे पहले कभी इस तरह नहीं रोया.

 

भारत और ऑस्ट्रेलिया मुकाबले में क्या हुआ था


मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 19 गेंद पर 11 रन ठोके थे. जबकि कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 93 रन ठोके थे. भारत को अंत में ऑस्ट्रेलिया को मात देने के लिए 4 गेंद पर 5 रन बनाने थे. लेकिन वेंकी राजू फाइनल ओवर में रन आउट हो गए. इस तरह कई भारतीय फैंस का दिल टूटा था.

 

मैंने वो सपना पूरा किया: गंभीर


गंभीर ने आगे कहा कि मैं जब 11 साल का था तो मैं इस हार के बाद पूरी रात रोया था. साल 1992 में तब मैंने सोच लिया था मुझे भारत के लिए ये सपना पूरा करना है. मैं इससे पहले कभी ऐसे नहीं रोया था. वो मैच हमेशा सुबह आता था ऐसे में मैं सुबह उठने के बाद मैच देखता था. मैं इतना दुखी कभी नहीं हुआ था.

 

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