आईपीएल 2025 चैंपियन रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को खरीदने में भारतीय मूल के अमेरिकी अरबपति संजय गोविल का नाम सबसे आगे बताया जाता है. वे ग्लेमॉर्गन क्रिकेट क्लब के साथ मिलकर आरसीबी पर दांव लगा सकते हैं. संजय गोविल के पास पहले से ही दो टी20 लीग में टीमें हैं. उन्होंने कुछ साल पहले मेजर लीग क्रिकेट में वाशिंगटन फ्रीडम टीम हासिल की थी. अभी कुछ महीने पहले उन्होंने हंड्रेड लीग में वेल्श फायर का स्वामित्व भी लिया था. वे इस टीम का संचालन ग्लेमॉर्गन क्लब के साथ मिलकर करते हैं. आरसीबी आईपीएल की सबसे लोकप्रिय टीमों में से है. विराट कोहली इसी टीम का हिस्सा हैं.
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गोविल और ग्लेमॉर्गन की दिलचस्पी बिग बैश लीग में भी टीम लेने में है. लेकिन वह आरसीबी में भी इच्छुक हैं. गोविल और ग्लेमॉर्गन को लगता है कि उनके पास आरसीबी को खरीदने के लिए फंड्स हैं.
आरसीबी ने 18वें सीजन में जीता था पहला आईपीएल खिताब
आरसीबी ने 2025 में आईपीएल खिताब जीतकर 17 सीजन से चला आ रहा सूखा समाप्त किया था. हालांकि इसके बाद फौरन बाद विक्ट्री परेड के दौरान भगदड़ मचने की वजह से 11 लोगों की मौत हो गई थी. इससे आरसीबी की काफी आलोचना हुई थी और कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. इसके बाद से आरसीबी के होम ग्राउंड एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में मैचों के आयोजन पर भी रोक लगा दी गई.
आरसीबी का अभी मालिक कौन है, क्यों बेचना चाहता है फ्रेंचाइज
आरसीबी का स्वामित्व अभी नामी शराब कंपनी डियाजियो के पास है. वह पिछले आईपीएल फाइनल के बाद हुए विवादों के चलते आईपीएल फ्रेंचाइज को बेचना चाहती है. उसने कुछ समय पहले कहा था कि वह इस फ्रेंचाइज में अपने निवेश को लेकर रणनीतिक समीक्षा करा रही है. मार्च 2026 तक यह समीक्षा पूरी हो सकती है. कहा जा रहा है कि इसके बाद आरसीबी को बेचा जा सकता है. डियाजियो आरसीबी कीमत दो बिलियन डॉलर यानी करीब 20 हजार करोड़ रुपये के करीब आंक रहे हैं.
2008 में बेंगलुरु थी दूसरी सबसे महंगी फ्रेंचाइज
2008 में जब आईपीएल लॉन्च हुआ था तब बेंगलुरु दूसरी सबसे महंगी फ्रेंचाइज थी. विजय माल्या ने इसे खरीदा था. 2016 में जब उन्होंने अपना बिजनेस बेचा तो आरसीबी भी डियाजियो के पास चली गई. आईपीएल में 2022 में दो नई टीमें शामिल हुए थी. तब संजीव गोयनका ने लखनऊ फ्रेंचाइज 7500 करोड़ रुपये में खरीदी थी जबकि सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स ने गुजरात टाइटंस को 5600 करोड़ रुपये में लिया था. 2025 आईपीएल से पहले टोरेंट ग्रुप ने इस टीम में 67 फीसदी हिस्सेदारी ली थी और इसके लिए पांच हजार करोड़ रुपये खर्च किए थे.
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