IPL Retention: क्‍या है आईपीएल ट्रेड, कैसे होती है प्‍लेयर्स की ट्रेडिंग? यहां जानें हर एक बात

ट्रेडिंग विंडो के दौरान कोई भी फ्रेंचाइजी किसी दूसरी फ्रेंचाइजी के उन खिलाड़ियों की लिस्‍ट बीसीसीआई को भेज सकती हैं, जिसे वो खरीदना चाहती है.

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किरण सिंह

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आईपीएल ट्रेड में कोई भी फ्रेंचाइजी किसी दूसरी फ्रेंचाइजी से उसका खिलाड़ी खरीद सकती है

आईपीएल ट्रेड में कोई भी फ्रेंचाइजी किसी दूसरी फ्रेंचाइजी से उसका खिलाड़ी खरीद सकती है

Story Highlights:

सीजन खत्‍म होने के 7 दिन बाद खुलती है ट्रेडिंग विंडो

अगले सीजन से कुछ दिन पहले तक खुली रहती है विंडो

ऑक्‍शन से पहले प्‍लेयर्स होते है ट्रेड

आईपीएल 2024 (IPL 2024) के ऑक्‍शन से पहले फ्रेंचाइजियों में हलचल मची है. किस प्‍लेयर को रखा जाए,  किसे रिलीज किया जाए, इसे लेकर चर्चा तेज है. कुछ फ्रेंचाइजियों ने ट्रेडिंग की. पिछले दिनों से आईपीएल ट्रेड काफी चर्चा में है. ट्रेड का मतलब व्‍यापार से है. यहां ऑक्‍शन से पहले प्‍लेयर्स की ट्रेडिंग होती है. आईपीएल ट्रेड (IPL Trade) क्‍या है और प्‍लेयर्स की ट्रेडिंग कैसे होती है, अक्‍सर फैंस के बीच ये सवाल रहता है. आईपीएल ट्रेड के जरिए कोई भी फ्रेंचाइजी किसी और टीम के प्‍लेयर को अपने साथ जोड़ सकती है. इसके बदले में वो अपना कोई खिलाड़ी उस फ्रेंचाइजी को दे सकती है, या फिर ऑल कैश डील कर सकती है, मगर इसका भी एक पूरा प्रोसेज है.

 

आईपीएल में ट्रेडिंग विंडो सीजन खत्‍म होने के 7 दिन बाद खुल जाती है, जो अगले सीजन के ऑक्‍शन से कुछ दिन पहले तक खुली रहती है. फ्रेंचाइजी किसी भी दिन ट्रेडिंग विंडो के दौरान अन्य फ्रेंचाइजी से अनुबंधित खिलाड़ियों की एक सूची बीसीसीआई को भेज सकती हैं, जिन्हें वे ट्रेड के जरिए अपने साथ जोड़ना चाहती है. ऐसी किसी भी सूची को एक्‍सप्रेशन ऑफ इंटरेस्‍ट (ईओआई) माना जाता है. इसके बाद बीसीसीआई संबंधित फ्रेंचाइजी को इसकी जानकारी देता है कि उसके खिलाड़ियों में से एक के लिए ईओआई मिला है. उसके बाद उस खिलाड़ी की फ्रेंचाइजी फैसला लेती है कि क्‍या उसे अपने प्‍लेयर को ट्रेड करना है या नहीं. 

 

48 घंटे के अंदर देना होता है जवाब

अगर संबंधित प्‍लेयर की फ्रेंचाइजी अपने उस खिलाड़ी को ट्रेड करना चाहती है तो उसे 48 घंटे अंदर बीसीसीआई को मेल के जरिए जवाब देना होगा.  इसके बाद उस खिलाड़ी को भी बीसीसीआई की तरफ से दिए गए फॉर्म पर साइन करके ट्रेड के लिए अपनी मंजूरी देनी होती है. खिलाड़ी  और उसकी फ्रेंचाइजी के सहमति फॉर्म पर साइन करने के तुरंत बाद उस फॉर्म की एक कॉपी बीसीसीआई को ईमेल किया जाता है. बीसीसीआई को फॉर्म मिलने के बाद उस खिलाड़ी की फ्रेंचाइजी और उसे खरदीने वाली फ्रेंचाइजी के बीच व्‍यापारिक बातचीत शुरू होती है. प्‍लेयर्स की ट्रेडिंग के लिए कुछ नियम भी बनाए गए हैं.

 

- जिन खिलाड़ियों को नीलामी में खरीदा जाता है, उनका उस सीजन के लिए व्यापार नहीं किया जा सकता है. 
- यदि किसी विदेशी प्‍लेयर को ट्रेड किया जा रहा है तो खरीदने वाली फ्रेंचाइजी को संबंधित बोर्ड से एनओसी लेने की जरूरत होगी. 
- खरीदने वाली फ्रेंचाइजी की ये जिम्मेदारी है कि वो ये सुनिश्चित करें कि जिस खिलाड़ी से ट्रेड किया जा रहा है, वह ट्रेड के समय मैच फिट हो. इसके लिए ऐसा भी होता है कि फॉर्म पर साइन करने से पहले उस खिलाड़ी का मेडिकल टेस्‍ट हो.

 

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