पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने खुलासा किया कि टीम के पिछले दो मुख्य कोच, रवि शास्त्री और गौतम गंभीर का उनके ऊपर क्या प्रभाव पड़ा है. उन्होंने बताया कि रवि शास्त्री उनके लिए एक "पिन" थे, जो उनके "चार्जर" को जोड़ते थे. उन्होंने 2015 की एक कहानी सुनाई जब उपुल थरंगा का विकेट लेने के बाद उन्हें सेंड-ऑफ देने के लिए बैन कर दिया गया था. इशांत ने कहा कि लड़ाई के बाद जब दिन में वो शांत हुए, तो कोच ने उन्हें कहा कि उन्हें अभी भी "गुस्सा रहना चाहिए".
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इशांत को लगाई थी फटकार
इशांत ने यूट्यूब शो में पदमजीत सेहरावत से बात करते हुए कहा कि, "श्रीलंका में जिस टेस्ट में मुझे बैन किया गया, वहां माहौल काफी गरम हो गया था. 2015 में रवि शास्त्री हमारे कोच थे. सब कुछ हुआ, और अगली सुबह जब हम नाश्ता कर रहे थे, वह मेरे पास आए और बोले, 'शर्मा, अभी भी गुस्सा है?' मैंने कहा, 'नहीं, रवि भाई.' उन्होंने कहा, 'अरे, तुझे तो गुस्सा होना चाहिए यार.''
शास्त्री खिलाड़ियों से प्रदर्शन निकलवाना जानते थे: शास्त्री
इशांत ने आगे कहा कि, "उनकी कोचिंग की एक खास बात जो मुझे लगी, वह यह थी कि उन्हें पता था कि किसी खिलाड़ी से प्रदर्शन कैसे निकलवाना है. उन्हें मालूम था कि मैं कब गुस्से में हूं या जब मैं थोड़ा नर्वस हूं या मन में कोई शक है. वह ऐसी एक लाइन बोल देते थे, जैसे कोई पिन चुभो दी हो, और मैं फिर से चार्ज हो जाता था. वह मेरे लिए चार्जर की तरह थे.''
धम्मिका प्रसाद, दिनेश चांदीमल और लाहिरु थिरिमन्ने के साथ तीखी नोंकझोंक से गुस्साए इशांत ने न केवल थरंगा को सेंड-ऑफ दिया, बल्कि चांदीमल का विकेट लेने के बाद अपने सिर पर हाथ मारकर जश्न भी मनाया. इस वजह से उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मोहाली में भारत के पहले टेस्ट से बाहर होना पड़ा. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उस समय नए कप्तान विराट कोहली ने कहा था, "एक गुस्सैल तेज गेंदबाज कप्तान का सबसे बड़ा हथियार होता है." इशांत ने यह भी बताया कि दिल्ली के उनके साथी गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग उनके सबसे बड़े समर्थक रहे.
इशांत ने कहा कि, "अलग-अलग समय पर अलग-अलग सीनियर्स का साथ मिला. जब मैं रणजी ट्रॉफी खेल रहा था, तब गौतम गंभीर ने मेरा सबसे ज्यादा साथ दिया. फिर वीरेंद्र सहवाग का नंबर आया. जब मैं भारत के लिए खेला, तो ड्रेसिंग रूम में इतने बड़े-बड़े नाम थे कि समझ नहीं आता था कि किससे बात करूं. ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में जब आप खाना खाने जाते थे, तो मन करता था कि कोई साथ हो.''
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