भारत में तीसरी बार वीमेंस वनडे वर्ल्ड कप का आगाज होने जा रहा है. हरमनप्रीत कौर की कप्तानी वाली वीमेंस टीम इंडिया अब 30 सितंबर से शुरू होने वाले इस टूर्नामेंट में अपने घर में पहली बार वर्ल्ड कप का ख़िताब जीतकर इतिहास रचना चाहेगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वीमेंस वर्ल्ड कप पुरुषों के वर्ल्ड कप से दो साल पहले ही शुरू हो गया था और इसका इतिहास क्या है. 52 सालों में ये 13वां एडिशन खेला जाना है और चलिए जानते हैं कि इस टूर्नामेंट की शुरुआत कब हुई और कौन चैंपियन बना.
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वीमेंस वर्ल्ड कप का इतिहास
वीमेंस वर्ल्ड कप की शुरुआत इंग्लैंड की कप्तान रेचेल हेहो फ्लिंट और इंग्लैंड के एक व्यापारी सर जैक हेवर्ड के विजन से हुई. वीमेंस वर्ल्ड कप के पहले एडिशन में कुल सात टीमों ने भाग लिया था. जिसमें भारत की महिला टीम शामिल नहीं थी. साल 1973 में इंग्लैंड में पहले वीमेंस वर्ल्ड कप का आगाज हुआ और इसमें इंग्लैंड ने ही ऑस्ट्रेलिया को हराकर जीत दर्ज की थी. जबकि महिला टीम इंडिया ने साल 1978 से इसमें एंट्री की थी.
पहले टूर्नामेंट का फॉर्मेट और कौन-कौन सी टीमों ने लिया भाग ?
साल 1973 में वीमेंस वर्ल्ड कप का आगाज हुआ और इसमें सात टीमों इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जमैका, त्रिनिदाद और टोबैगो, यंग इंग्लैंड टीम, अंतर्राष्ट्रीय इलेवन टीम (पांच साउथ अफ्रीकी नेशंस की खिलाड़ी) ने भाग लिया था. इस टूर्नामेंट को नॉकआउट नहीं बल्कि राउंड रॉबिन आधार पर खेला गया और अंतिम मैच ऑस्ट्रेलिया व इंग्लैंड के बीच फाइनल के रूप में हुआ. जिसमें जीतने वाली इंग्लैंड की टीम ने खिताब जीता. इस समय वनडे क्रिकेट 60-60 ओवर का खेला जाता था.
फाइनल में किसने ठोका शतक ?
बर्मिंघम के मैदान में इंग्लैंड की टीम पहले खेलने उतरी और उसके लिए सलामी बैटर एनिड बेकवेल ने 179 मैचों में 11 चौके से 118 रन की पारी खेली. उनके शतक से इंग्लैंड ने तीन विकेट पर 279 रन बनाए और उसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम 187 रन ही बना सकी. जिससे इंग्लैंड ने 92 रन की जीत के साथ पहला वर्ल्ड कप अपने नाम किया.
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