साल 2019 के वर्ल्ड कप के दौरान भारतीय टीम इंग्लैंड पहुंची थी। महेंद्र सिंह धोनी, जो उस टीम का हिस्सा थे, ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले मैच में बलिदान बैज वाले ग्लव्स पहने थे। धोनी टेरिटोरियल आर्मी का हिस्सा हैं और 2011 में उन्हें इसमें शामिल किया गया था। आईसीसी ने इन ग्लव्स पर आपत्ति जताई, क्योंकि उनके नियमों के अनुसार कोई भी राजनीतिक या गैर-अनुमोदित संदेश मैदान पर नहीं ले जाया जा सकता। आईसीसी ने बीसीसीआई को सूचित किया कि धोनी को ये ग्लव्स पहनने की अनुमति नहीं मिलेगी और नियम तोड़ने पर कार्रवाई हो सकती है। बीसीसीआई ने शुरुआत में आईसीसी से बात करने की कोशिश की, लेकिन आईसीसी अपने रुख पर कायम रहा। इस मामले ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरीं और पड़ोसी देश ने भी इस पर शिकायत की। अंततः, बीसीसीआई ने आईसीसी के नियमों को स्वीकार किया और धोनी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अगले मैच में वे ग्लव्स नहीं पहने। इस घटना ने क्रिकेट गतिविधियों से ध्यान भटकाया। "धोनी ने सिर्फ इसलिए पहना दैट ही वांटेड टु शो हिज़ लव टुवार्ड्स दी नेशन टुवार्ड्स दी आर्मी बट अनफारचुनेटली आई सीसी के रूल में वो नहीं था।" यह 2019 वर्ल्ड कप की एक बड़ी कहानी बन गई।
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