भारतीय खिलाड़ी ओलिंपिक में हिस्सा लेने के लिए पेरिस पहुंच गए हैं. बीते दिनों भारतीय हॉकी टीम भी पेरिस पहुंची. पेरिस के लिए रवाना होने से पहले स्टार डिफेंडर जरमनप्रीत सिंह ने अपनी दिली ख्वाहिश बताते हुए कहा कि वो अपनी मां को ये ओलिंपिक दिखाना चाहते हैं. उनकी ख्वाहिश है कि तमाम उतार चढ़ावों में उनकी ताकत बनी उनकी मां कुलविंदर कौर पेरिस में उन्हें ओलंपिक में पदार्पण करते देखें.
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वर्ल्ड कप, चैम्पियंस ट्रॉफी , एशियाई खेल जैसे बड़े टूर्नामेंटों का हिस्सा रहे 28 साल के जरमनप्रीत का यह पहला ओलिंपिक है और इसमें अच्छा प्रदर्शन करके वह अतीत में मिले जख्मों पर मरहम भी लगाना चाहते हैं. उन्होंने रवानगी से पहले भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा-
मैं कोशिश कर रहा हूं कि अपनी मां को पेरिस ओलिंपिक दिखा सकूं. उन्हें गर्व हो कि उनका बेटा सबसे बड़ा टूर्नामेंट खेल रहा है. मैं हर मैच से पहले मम्मी से बात करता हूं. उनको हॉकी के बारे में कुछ नहीं पता, लेकिन मुझे कहती हैं कि ऐसे खेलना, वैसे खेलना. वो मेरी पहली कोच होती हैं. मैने चेन्नई में एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी देखने उनको बुलाया था.
दो साल का लग चुका है बैन
जरमनप्रीत को 2016 से 2018 के बीच डोपिंग मामले में दो साल का प्रतिबंध झेलना पड़ा था, जिसके बाद उन्होंने वापसी की और जूनियर विश्व कप खेलने का मौका चूकने के आठ साल बाद अब ओलिंपिक खेलने जा रहे हैं. उनका कहना है कि वर्ल्ड कप, चैम्पियंस ट्रॉफी, एशियाई खेलों में उन्होंने हिस्सा लिया, मगर ये उनका पहला ओलिंपिक है. ओलिंपिक का दबाव अलग ही होता है, जिसमें पूरी दुनिया की बेस्ट टीमें आती है. उन्होंने कहा-
दबाव की वैसे कोई बात नहीं है, क्योंकि इन टीमों के साथ काफी मैच खेल चुके हैं. हम सकारात्मक सोच के साथ ही जा रहे हैं.
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