हनुमा विहारी पिछले कुछ समय से काफी चर्चा में हैं. रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल मध्य प्रदेश के हाथों आंध्र प्रदेश को हार मिलने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर कई खुलासे करके सनसनी मचा दी थी. साथ ही उन्होंने फिर कभी आंध्र प्रदेश के लिए ना खेलने की बात भी की. उनका कहना था कि उन्होंने अपना सम्मान गंवा दिया है. विहारी ने स्थानीय नेता के बेटे पर भी आरोप लगाए थे. जिसके बाद अब आंध्र प्रदेश क्रिकेट संघ में कारण बताओ नोटिस जारी करके उनसे जवाब मांगा है.
कुछ दिन पहले एसीए की शीर्ष परिषद की बैठक के बाद जारी किये गए नोटिस का विहारी ने जवाब नहीं दिया है. संघ सिर्फ ये जानना चाहता है कि विहारी ने ऐसी प्रतिक्रिया क्यों दी थी. विहारी ने उनसे संपर्क नहीं किया. रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल में हार मिलने के बाद विहारी ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि बंगाल के खिलाफ पहले मैच के बाद उनसे कप्तानी छीन ली गई थी.
विहारी से मांगा गया इस्तीफा
विहारी ने कहना था कि संघ का मानना है कि वो जो भी कहें प्लेयर्स को सुनना होगा. संघ नहीं चाहता है कि टीम आगे बढ़े. उन्होंने आगे कहा कि बंगाल के खिलाफ मुकाबले में वो कप्तान थे. उस मैच के दौरान वो 17वें खिलाड़ी पर चिल्लाए थे और उसने अपने पिता से इसकी शिकायत की, जो एक स्थानीय नेता है. उस खिलाड़ी के पिता ने संघ से उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था और उनसे बिना किसी गलती के कप्तानी से इस्तीफा मांग लिया गया.
17वें खिलाड़ी का दावा
विहारी का कहना था कि उन्होंने उस खिलाड़ी से व्यक्तिगत रूप से कभी कुछ नहीं कहा था. उन्होंने अपना सम्मान गंवा दिया. हालांकि 17वें खिलाड़ी केएन प्रुधवी राज ने विहारी पर झूठे दावे का आरोप लगाया था.
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