ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के आउट होने के तरीकों को देखते हुए यह कहना बिलकुल वाजिब होगा कि उन्होंने दिल्ली में खेले गए दूसरे टेस्ट में भारतीय स्पिनरों के खिलाफ खुद की हार के लिए गड्ढा ‘स्वीप शॉट’ खेलकर खोदा. तीसरे दिन जब ऑस्ट्रेलियाई टीम (Australian Cricket Team) खेलने उतरी तो उसने 62 रन की बढ़त बनाई हुई थी और उसके पास नौ विकेट थे जिससे उम्मीद थी कि मैच रोमांचक रहेगा. ऑस्ट्रेलियाई टीम से शनिवार जैसा ही आक्रामक रवैया अख्तियार करने की उम्मीद थी लेकिन ‘स्वीप शॉट’ पर अत्यधिक जोर देना टीम पर भारी पड़ गया और उन्होंने 19.1 ओवर में 52 रन के अंदर नौ विकेट खो दिए. सबसे खराब स्वीप शॉट कमिंस का रहा और वह जडेजा की पहली ही गेंद पर गैर जरूरी स्लॉग स्वीप करने की कोशिश में आउट हुए.
इससे टीम नागपुर में सीरीज के पहले मैच की तरह दूसरे टेस्ट में भी तीन दिन के अंदर आउट हो गई. स्टीव स्मिथ, मैट रेनशॉ, एलेक्स कैरी, पैट कमिंस और 11वें नंबर के मैथ्यू कुह्नमैन पारंपरिक स्वीप या रिवर्स स्वीप शॉट खेलने की कोशिश में आउट हुए. यह शॉट भारतीय स्पिनरों के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया की अपने हालात में आक्रामक विकल्प हो सकता है लेकिन यह एकमात्र विकल्प नहीं हो सकता, विशेषकर कोटला जैसी धीमी पिच पर.
भारतीय धीमी पिचों पर क्यों नहीं खेलते स्वीप?
पूर्व भारतीय विकेटकीपर दीप दासगुप्ता ने कहा, ‘भारत में बहुत ही कम उम्र में खिलाड़ियों को बता दिया जाता है कि नीची उछाल वाली पिचों पर स्वीप नहीं करना. यह कारगर नहीं होता. इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्टीव स्मिथ का आउट होना था. धीमी उछाल भरी पिच पर ‘हॉरिजोंटल’ (समानान्तर) शॉट खेलना इतना मुश्किल होता है. यह निराशाजनक था. ऐसा लग रहा था कि कोई भी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को इसके बारे में नहीं बता रहा था.’
ड्रेसिंग रूम की रणनीति से हारा ऑस्ट्रेलिया!
अपना 100वां टेस्ट खेल रहे चेतेश्वर पुजारा ने भी कहा कि इतनी जल्दी जल्दी स्वीप शॉट खेलना आदर्श नहीं था. उन्होंने कहा, ‘यह पिच स्वीप शॉट खेलने के नहीं है, इस पर कम उछाल था.’ शायद उनके डिफेंस में आत्मविश्वास की कमी से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने बार-बार स्वीप की कोशिश की. जब ऑस्ट्रेलियाई विकेट लगातार गिर रहे थे तो दिनेश कार्तिक कमेंट्री कर रहे थे, उन्होंने कहा कि मेहमान टीम की रणनीति ड्रेसिंग रूम में ही तय हो गयी थी और वे परिस्थितियों के अनुसार नहीं खेले.
कार्तिक ने कहा, ‘जब आपने ड्रेसिंग रूम में ही रणनीति बना ली हो कि मैं इसी तरह से बल्लेबाजी करूंगा तो इससे आप मुश्किल में पड़ सकते हो. आप पिच पर आते हो, परिस्थितियों को देखते हो, तभी बल्लेबाजी योजना बनाते हो, फिर आपके सामने जैसे हालात होते हैं, उसके अनुसार ही सामंजस्य बिठाते हो. अगर आपने कल ही इसका फैसला कर लिया था तो इससे आपको परेशानी होगी ही.’
पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर को लगता है कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी आर अश्विन और रवींद्र जडेजा जैसे बेहतरीन स्पिनरों से निपटने के लिये तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘स्पिनरों के खिलाफ बल्लेबाजी एक कला होती है और दुर्भाग्य से आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बेहतरीन स्पिन के खिलाफ खेलने आदी नहीं हैं. स्वीप करना आपकी रणनीति का अहम हिस्सा हो सकता है लेकिन गलती का अंतर बहुत कम होता है. स्वीप शॉट पर नियंत्रण करना मुश्किल होता है. लेकिन फुटवर्क काफी खराब रहा.’
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