IND vs ENG: सरफराज खान को 2737500 गेंद खेलने के बाद टीम इंडिया में मिली जगह, तब जाकर डेब्‍यू टेस्‍ट में इंग्‍लैंड के स्पिनरों को धोया

IND vs ENG: सरफराज खान को 2737500 गेंद खेलने के बाद टीम इंडिया में मिली जगह, तब जाकर डेब्‍यू टेस्‍ट में इंग्‍लैंड के स्पिनरों को धोया
सरफराज खान राजकोट टेस्‍ट में टीम इंडिया की कैप मिलने के बाद पिता को गले लगाते हुए

Highlights:

Sarfaraz Khan debut: सरफराज खान ने राजकोट टेस्‍ट में डेब्‍यू किया था

Ind vs ENG: सरफराज ने डेब्‍यू टेस्‍ट में दो अर्धशतक ठोके

Sarfaraz Khan debut, Ind vs ENG: सरफराज खान (Sarfaraz Khan) ने अपने डेब्‍यू मैच में इंग्‍लैंड की धज्जियां उड़ा दी. उन्‍होंने अपने डेब्‍यू मैच की दोनों पारियों में इंग्लिश स्पिनरों को धोया और दो अर्धशतक लगाए. सरफराज ने राजकोट टेस्‍ट से इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा और ड्रीम डेब्‍यू किया. राजकोट टेस्‍ट में हर किसी की नजरें उन पर ही थी, क्‍योंकि वो काफी समय से घरेलू क्रिकेट में रन बरसा रहे थे, मगर टीम इंडिया का बुलावा उन्‍हें अब जाकर मिला. उन्‍हें मौका न मिलने पर पहले भी काफी सवाल खड़े हुए थे. 

 

राजकोट टेस्‍ट में अनिल कुंबले में जैसे ही सरफराज को डेब्‍यू कैप दी, स्‍टेडियम में मौजूद उनके पिता नौशाद खान की आंखों में आंसू आ गए. उन्‍होंने अपने बेटे की कैप को चूमा. वो उस कैप की अहमियत जानते थे. वो जानते थे सरफराज को उस कैप को हासिल करने के लिए 2737500 गेंद खेलनी पड़ी. लाखों गेंद खेलने का ही नतीजा था कि डेब्‍यू मैच की पहली पारी में सरफराज ने 66 गेंदों पर 62 रन और दूसरी पारी में 72 गेंदों में नॉटआउट 68 रन बनाए. 
 

सरफराज ने 15 तक रोज खेली 500 गेंदें

सरफराज ने अपने डेब्‍यू टेस्‍ट में इंग्लैंड के स्पिनरों के खिलाफ दबदबा बनाना, जो उनके पिता नौशाद खान के नेतृत्‍व में उनकी 15 साल की कड़ी मेहनत का नतीजा है. सरफराज ने 15 साल तक रोज 500 गेंद खेली. यानी 15 साल के 5475 दिनों में उन्‍होंने रोज 500 गेंदों के हिसाब से 2737500 गेंदों का सामना किया. तब जाकर उन्हें डेब्‍यू का मौका मिला. मुंबई के सरफराज के खेल को करीब से देखने वाले एक कोच ने कहा-

 

मुंबई में ओवल, क्रॉस और आजाद मैदान पर रोज ऑफ, लेग और बाएं हाथ के स्पिनरों की 500 गेंद खेलने से ऐसा हो पाया. लॉकडाउन के दौरान सरफराज ने कार से 1600 किमी की यात्रा की. मुंबई से अमरोहा, मुरादाबाद, मेरठ, कानपुर, मथुरा और देहरादून. वो ऐसी जगहों पर खेले, जहां गेंद बहुत अधिक टर्न करती है, कुछ गेंद काफी उछाल लेती हैं और कुछ नीची रहती हैं.


पिता के अलावा इन कोचों ने भी किया सरफराज को तैयार

स्पिनरों के खिलाफ आसानी से कदमों का इस्तेमाल करने वाले सरफराज ने अपने कौशल को निखारने के लिए कड़ी मेहनत की है.  सरफराज को तैयार करने का श्रेय हालांकि सिर्फ उनके पिता नौशाद को नहीं जाता. भुवनेश्वर कुमार के कोच संजय रस्तोगी, मोहम्मद शमी के कोच बदरूद्दीन शेख, कुलदीप यादव के कोच कपिल देव पांडे, गौतम गंभीर के कोच संजय भारद्वाज और भारत ए के कप्तान अभिमन्यु ईश्वरन के पिता आरपी ईश्वरन को भी जाता है. कपिल पांडे ने पीटीआई को बताया-

 

लॉकडाउन के दौरान नौशाद ने मुझे फोन किया, क्योंकि हम दोनों आजमगढ़ के हैं और जब मैं भारतीय नौसेना का कर्मचारी था तो मुंबई में हमने क्लब क्रिकेट खेला है. इसलिए जब वो चाहते थे कि उनके बेटे को अभ्यास का मौका मिले तो मुझे लगा कि यह मेरी जिम्मेदारी है. लॉकडाउन के दौरान सरफराज ने हमारी कानपुर अकादमी में कुलदीप का काफी सामना किया. उन्होंने एक साथ काफी नेट सत्र किए. मैं टी20 मुकाबलों का इंतजाम करता था क्योंकि उस सत्र में मुश्ताक अली टी20 मुख्य टूर्नामेंट था. 

 

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