मोहम्मद शमी (mohammed shami) ने वर्ल्ड कप में तहलका मचा दिया है. शमी की खौफनाक गेंदबाजी के दम पर भारत वर्ल्ड कप के फाइनरल में पहुंच गया. न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने 7 विकेट लिए. वो अभी तक इस वर्ल्ड कप में कुल 23 विकेट ले चुके हैं. शमी के इस कमाल के प्रदर्शन के पीछे उनके कोच इस बदरुद्दीन का भी अहम रोल रहा. जब शमी 13 या 14 साल के थे, तब अमरोहा से करीब 25 किलोमीटर दूर मुरादाबाद के सोनकपुर स्टेडियम में वो कोच बदरुद्दीन के पास तेज गेंदबाजी के गुर सीखने आते थे.
कोच बदरुद्दीन ने कहा-
साल 2002 में शमी के पिता उन्हें सोनकपुर स्टेडियम लाए थे. लगभग 30 मिनट तक शमी से गेंदबाजी करवाई. शमी ने पहले मिनट जो गेंद फेंकी और 30वें मिनट में जो गेंद फेंकी थी उसमें कोई अंतर नहीं था. उसी दिन मुझे उसके जज्बे का पता चल गया था. शमी जब 16 साल के थे तो उन्होंने अंडर 19 का ट्रायल दिया. जबरदस्त गेंदबाजी के बावजूद वो लास्ट राउंड में बाहर हो गए. जिससे वो काफी उदास रहने लगे.
कोच बदरुद्दीन ने बताया कि जून की भयंकर गर्मी में जब शमी लगातार तेज गेंदबाजी करते तो उन्हें इस डर से रोकना पड़ता था कि कहीं वो बीमार न पड़ जाए.
कोच ने बताया कि शमी ने लगातार मेहनत करके अपनी कलाई को मजबूत बना लिया. वो गेंद को बेहतरीन कंट्रोल से स्विंग करा रहे हैं. कोच ने बताया कि कुछ साल पहले उनकी निजी जिंदगी में जो तूफान आया था, वो उससे उबर चुके हैं और अब फाइनल में भी वो कमाल करने करेंगे.
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