किसी खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज किया हो और उसकी 6 गेंदों पर 6 छक्के पड़ जाए तो गेंदबाज को अपना करियर खत्म नजर आने लगता है. कुछ ऐसा ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने वाले स्टुअर्ट ब्रॉड के साथ हुआ था. जब साल 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में भारत के युवराज सिंह ने इंग्लैंड के उस समय नए नवेले गेंदबाज ब्रॉड की 6 गेंदों पर 6 छक्के जड़ डाले तो पूरी इंग्लैंड की टीम ब्रॉड का हौसला अफजाई करने आ गई थी. हाल ही में आईपीएल 2023 के दौरान रिंकू सिंह ने जब यश दयाल के एक ओवर में 5 छक्के जड़े थे तो यश कई दिनों तक बीमार रहे थे. अब इसी से तुलना कर लीजिए कि ब्रॉड का मजाक जरूर 6 छक्कों के कारण बना लेकिन घायल शेर की तरह उन्होंने क्रिकेट के मैदान में वापसी की व फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और पूरी दुनिया में अपना डंका बजा डाला. जिसके 16 साल बाद मजबूत मानसिकता वाले ब्रॉड ने अब टी20 नहीं बल्कि असली खेल टेस्ट क्रिकेट के 5वें सबसे सफल गेंदबाज के रूप में रिटायरमेंट लिया है.
21 साल की उम्र में खा गए थे 6 छक्के
महज 21 साल की उम्र में 6 छक्के खाने के बाद ब्रॉड ने मजबूत मानसिकता और अपने आत्मविश्वास को टूटने की बजाए उसे और मजबूत बनाया. वह क्रिकेट से दूर जाने की बजाए और उसके करीब आ गए. ये जिद ही उन्हें महान बनाने की तरफ ले जा रही थी और साल 2007 में टेस्ट डेब्यू करने वाले ब्रॉड को पहले तो उनकी स्पीड के लिए जाना जाता था. लेकिन गेंद जब तक मूव नहीं करेगी और स्विंग व सीम का नजारा कोई गेंदबाज पेश नहीं करेगा. तब तक तरकश खाली रहेगा.
टेस्ट क्रिकेट को बनाया असली हथियार
ब्रॉड ने रंगारंग क्रिकेट की बजाए सफ़ेद कपड़े और लाल गेंद से खेले जाने वाले टेस्ट क्रिकेट को अपना प्रमुख हथियार बनाया. उन्होंने अपनी गेंदबाजी में ना सिर्फ स्पीड बल्कि स्विंग और सीम का बेहतरीन मिश्रण अपनाया. जिससे इंग्लैंड के अन्य तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन के साथ दशकों तक जोड़ी बना कर दुनिया की हर एक पिच पर ब्रॉड ने कहर बरपाया. युवराज सिंह के 6 छक्कों को ऐसा लगा ब्रॉड अगले पल भूल गए और अपने करियर के मिशन पर निकल पड़े.
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