टीम इंडिया का आखिर क्यों वर्ल्ड कप जीतना मुश्किल है, इसकी शुरुआत 1999 वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए मुकाबले से करते हैं. साउथ अफ्रीका के फील्डर हर्षल गिब्स ने ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव वॉ का कैच छोड़ दिया था. उस समय वॉ ने कहा था कि दोस्त आपने कैच नहीं वर्ल्ड कप छोड़ दिया. यानी एक कैच पूरा का पूरा मैच पलट सकता है.
सोचिए, अगर 2007 वर्ल्ड कप के फाइनल में अगर श्रीसंत मिस्बाह उल हक का कैच छोड़ देते तो क्या होता, सोचिए अगर 2015 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में जेपी ड्यूमिनी ग्रांट एलियट का कैच नहीं छोड़ते तो क्या होता. होता ये कि 2007 में भारत पहली बार टी20 वर्ल्ड कप जीतने से चूक जाता. होता ये कि एलियट का कैच लपकने से शायद साउथ अफ्रीका फाइनल में पहुंच जाता. कैच छूटा, तभी तो एलियट ने एक छक्का लगाकर न्यूजीलैंड को जीत दिला दी थी.
भारत की खराब फील्डिंग
क्रिकेट इतिहास में ऐसे मैच कई दफा देखने को मिले, जिसका रिजल्ट एक कैच से पलटा जा सकता था. टीम जिसे अच्छी फील्डिंग से जीत सकती थी, मगर शायद टीम इंडिया इन मैचों की कहानी भूल गई. तभी तो हर मैच में थोक के भाव कैच छोड़ रही है. खराब फील्डिंग से रन लुटा रही है और ये सिलसिला अभी नहीं पिछले कुछ सालों से जारी है. स्थिति समय के साथ और भी खराब होती जा रही है.
खराब फील्डिंग पर चुप रोहित
भारत को कुछ दिनों में वर्ल्ड कप खेलना है. बैटिंग और गेंदबाजी की बात तो छोड़िए, उस पर तो कप्तान को नाज है. बांग्लादेश के खिलाफ एशिया कप का सुपर फोर मुकाबला गंवाने के बाद रोहित शर्मा ने बैटिंग को लेकर बात भी की. अक्षर पटेल और शुभमन गिल की तारीफ भी की, मगर वो फील्डिंग पर बात करना शायद भूल गए. तिलक वर्मा से कैच छूटा, केएल राहुल से कैच छूटा, सूर्यकुमार यादव आसान बाउंड्री नहीं रोक पाए. इस पर कप्तान कुछ नहीं बोल पाए.
हार का कारण
नेपाल के खिलाफ भारत ने 10 विकेट से जीत तो दर्ज की, मगर श्रेयस अय्यर, विराट कोहली, इशान किशन से छूटे कैच पर कप्तान चुप ही रहे. टीम कैच पर कैच छोड़े जा रही है, जो उतनी ही बड़ी समस्या है जितनी टीम इंडिया की नंबर 4 की समस्या है.
ज्यादा पीछे नहीं चलते हैं. एशिया कप 2023 की ही बात करते हैं. टीम इंडिया और स्टार प्लेयर्स की लापरवाह फील्डिंग का अंजाम देख लीजिए. बांग्लादेश ने 6 रन से हरा दिया. 10वें ओवर में शार्दुल ठाकुर की तीसरी गेंद पर तिलक ने और आखिरी गेंद पर सूर्यकुमार यादव ने दूसरी स्लिप पर मेहदी हसन मिराज का कैच छोड़ दिया. 18.2 ओवर में तिलक वर्मा की गेंद पर राहुल ने शाकिब अल हसन का कैच छोड़ दिया. शाकिब ने इसके बाद तो 80 रन ठोक दिए.
20 गेंदों में 3 कैच छोड़े
नेपाल के खिलाफ तो भारतीय फील्डिंग और भी खराब रही. महज 20 बॉल में विराट कोहली, श्रेयस अय्यर और इशान किशन ने 3 कैच छोड़ दिया था. अगर पिछले 5 सालों में सबसे ज्यादा कैच छोड़ने वाले भारतीय की बात करें तो वो विराट कोहली हैं, जिन्होंने 37 कैच छोड़े. दूसरे भारतीय श्रेयस अय्यर हैं, जिन्होंने 11 कैच छोड़े. तीसरे पर अर्शदीप और चौथे नंबर पर केएल राहुल हैं. राहुल ने 7 कैच छोड़े. अगर भारतीय प्लेयर्स ऐसे ही हाथ आए आसान कैच छोड़ते रहेंगे तो फिर वर्ल्ड कप कैसे जीतेंगे.
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