भारत और ऑस्ट्रेलिया (India vs Australia) के बीच हाल ही में समाप्त हुई चार टेस्ट मैचों की सीरीज का तीसरा टेस्ट मैच इंदौर में खेला गया था. एक मार्च से इंदौर में खेले जाने वाले मैच में टीम इंडिया को ढाई दिन के भीतर ही 9 विकेट से करारी हार झेलनी पड़ी थी. इसके बाद आईसीसी ने इंदौर पिच को तीन डिमेरिट अंक दिए गए थे. जबकि बीसीसीआई को जवाब देने के लिए 14 दिन का समय दिया गया था. इस तरह बीसीसीआई के जवाब के बाद अब आईसीसी ने अपना फैसला बदल लिया है और तीन के बजाए एक डिमेरिट अंक ही दिया है. जिससे इंदौर के मैदान सहित बीसीसीआई को बड़ी राहत मिली है.
बीसीसीआई की अपील के बाद आईसीसी के पैनेल में शामिल जनरल मैनेजर वसीम खान, आईसीसी पुरुष क्रिकेट समिति के सदस्य रोजर हार्पर ने इंदौर टेस्ट मैच की फुटेज को चेक किया और कई पहलुओं पर गौर किया. इसके बाद फैसला लिया गया कि पिच को 'पुअर(Poor)' की बजाए 'औसत से कम (Below Average)' का दर्जा देना चाहिए. जिसके चलते इंदौर की पिच को तीन के बजाए अब एक ही डिमेरिट अंक दिया गया है.
इंदौर टेस्ट मैच का कैसा था हाल?
इंदौर टेस्ट मैच की बात करें तो पहले दिन जहां स्पिन की मुरीद पिच पर 14 विकेट गिरे तो इसके बाद दूसरे दिन इस पिच पर 16 विकेट गिरे. जबकि स्पिनर्स ने 31 विकेटों में से 26 विकेट अपने नाम किए. जबकि चार विकेट ही केवल तेज गेंदबाज ले सके. इस तरह टेस्ट क्रिकेट के पैमाने पर खरी ना उतरने वाली पिच को आईसीसी ने तीन डिमेरिट अंक दिए थे.
उस समय आईसीसी के मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड ने रिपोर्ट में लिखा, '"पिच काफी सूखी थी. इससे बल्ले और गेंद के बीच संतुलन नहीं मिला. शुरुआत से ही स्पिनर्स को ही मदद मिली. मैच की पांचवीं गेंद से ही पिच टूट गई और आगे भी ऐसा होता रहा. इस पिच से तेज गेंदबाजों को कोई मदद नहीं मिली और पूरे मैच के दौरान असमान व जरूरत से ज्यादा उछाल मिला था."
डिमेरिट अंक मिलने से क्या होता है?
वहीं आईसीसी की तरफ से पिच और आउटफील्ड मॉनिटरिंग प्रोसेस के तहत अगर किसी स्टेडियम को पांच साल के दौरान पांच या फिर इससे ज्यादा डिमेरिट अंक मिलते हैं तो उस स्टेडियम पर एक साल तक बैन लगा दिया जाता है. यही कारण है कि अब इंदौर को तीन से एक अंक मिलने पर बड़ी राहत मिली है.
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