पूर्व खिलाड़ी संजय बांगर और नवजोत सिंह सिद्धू ने शुभमन गिल के स्ट्रोक्स और तकनीक से प्रभावित होकर सोमवार को कहा कि यह 25 साल का खिलाड़ी आने वाले सालों में भारतीय टीम की बल्लेबाजी की अगुआई करेगा. गिल ने रविवार को चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान पर भारत की छह विकेट की जीत में 46 रन बनाए. इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ टूर्नामेंट के पहले मैच में शतक लगाया था.
गिल करेंगे बैटिंग को लीड
बांगर ने ‘जियोहॉटस्टार’ से कहा, ‘‘साफ तौर पर वह आने वाले सालों में भारतीय टीम की जिम्मेदारी संभालने वाले खिलाड़ी हैं. ’’गिल की तकनीक के बारे में बात करते हुए बांगर ने कहा, ‘‘उनकी नींव वाकई बहुत मजबूत है और इसमें वनडे में लगभग ढाई साल के प्रदर्शन का आत्मविश्वास भी शामिल है. एकदिवसीय क्रिकेट में वह अद्भुत रहे हैं. ’’
बांगर ने कहा, ‘‘उसकी टाइमिंग इतनी शानदार है. ’’ सिद्धू ने गिल की भी तारीफ की जो 50 ओवर के फॉर्मेट में शानदार फॉर्म में हैं. सिद्धू ने कहा, ‘‘देखिए बरगद के पेड़ के नीचे कुछ भी नहीं उगता और भारतीय क्रिकेट का बरगद के पेड़ मूल रूप से रोहित शर्मा और विराट कोहली हैं. लेकिन जब आप शुभमन गिल को देखते हैं तो यह खिलाड़ी उस बरगद के पेड़ की छाया से उभरकर परिपक्व हो गया है.’’
बांगर ने अंत में कहा कि, वो वनडे क्रिकेट में शानदार है. ऑन ड्राइव में आप ज्यादा ताकत से गेंद नहीं मार सकते हैं. लेकिन वो काफी ताकत से मार रहा था. मिड ऑफ और मिड ऑन पर खिलाड़ी थे लेकिन फिर भी गेंद 30 यार्ड की सर्किल पार कर जा रही थी.
सिद्धू ने विराट की भी की जमकर तारीफ
नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान के खिलाफ कोहली के शतक से काफी प्रभावित हैं और उन्होंनेकोहली के बारे में भविष्यवाणी भी की. नवजोत सिंह सिद्धू को यकीन है कि कोहली अगले दो या तीन साल तक खेलेंगे और 10 या 15 और शतक लगाएंगे. साल 2008 में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने वाले कोहली के नाम 547 इंटरनेशनल मैचों में कुल 82 शतक है. 17 साल के अपने करियर में कोहली ने कई बड़े रिकॉर्ड बनाए.
स्टार स्पोर्ट्स से बात करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, मुश्किल समय में कैरेक्टर नहीं बनता नहीं है,बल्कि उसका प्रदर्शन होता है. यह एक ऐसे व्यक्ति (विराट कोहली) हैं, जिनके पास एक शानदार व्यक्तित्व है, जुनून हैं और इस शतक के बाद, मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि वह अगले 2 या 3 साल तक खेलेंगे और वह 10 से 15 शतक और लगाएंगे. मेरी बात मानिए, क्योंकि आप देखें किसी भी खिलाड़ी के लिए आखिरी परीक्षा यही होती है कि वह विपरीत समय से कैसे निपटता है.वह विपरीत परिस्थितियों को कैसे स्वीकार करता है.
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