'मैं कोच के लिए चाय लेकर आता था और पिच को रोल भी करता था', भारतीय टीम से बाहर चल रहे दिग्गज क्रिकेटर का चौंकाने वाला खुलासा

'मैं कोच के लिए चाय लेकर आता था और पिच को रोल भी करता था', भारतीय टीम से बाहर चल रहे दिग्गज क्रिकेटर का चौंकाने वाला खुलासा
चैंपियंस ट्रॉफी जीत के बाद जश्न मनाती टीम इंडिया

Highlights:

शिखर धवन ने बड़ा खुलासा किया है

धवन ने कहा कि वो कोच के लिए चाय और पिच रोल करते थे

धवन ने करियर की संघर्ष की कहानी सुनाई

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान शिखर धवन ने अपने क्रिकेट करियर के शुरुआती दिनों को लेकर अहम खुलासा किया है. धवन ने ये सबकुछ शिखर धवन फाउंडेशन से जुड़े अलग अलग NGO के युवा क्रिकेटरों के साथ बातचीत के दौरान बताया. धवन ने इस दौरान ये भी कहा कि उन्हें यहां तक पहुंचने में कितना संघर्ष करना पड़ा और उन्होंने कितनी ज्यादा मेहनत की है. 

धवन ने किया है काफी ज्यादा संघर्ष

धवन ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि, मैं बेहद छोटी उम्र से ही क्लब क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. मैंने एक साल तक अभ्यास किया था और इसके बाद जाकर मुझे टूर्नामेंट खेलने का मौका मिला. उस एक साल में मैंने पिच रोल की, कोच के लिए चाय लाया और धूप के नीचे कई घंटे बिताए. ये सबकुछ मैं सिर्फ 10 मिनट की बैटिंग के लिए करता था. 

धवन ने आगे कहा कि हालांकि इन संघर्षों की बदौलत ही मैं आज यहां तक पहुंचा हूं. आज मैं इंटरनेशनल लेवल पर जो हूं वो सबकुछ मुझे मेरी मेहनत के चलते मिला है. बता दें कि धवन ने 2010 में अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया और जल्द ही भारतीय टीम के मुख्य खिलाड़ी बन गए, जो अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं. पिछले कुछ सालों में, वह सभी फॉर्मेट में भारत की कई जीत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं.

धवन के 13 साल के लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में तीनों फॉर्मेट में 34 टेस्ट, 167 वनडे और 68 टी20 मैच खेले और 2315, 6793 और 1579 रन बनाए. अपने शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर के साथ-साथ, धवन ने इंडियन प्रीमियर लीग में दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई और पंजाब का प्रतिनिधित्व किया, जहां उन्होंने 222 मैच खेले और 6769 रन बनाए, जिसमें दो शतक और 51 अर्धशतक शामिल थे.

एक दशक से ज्यादा लंबे शानदार क्रिकेट करियर के बाद, धवन ने अगस्त 2024 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से आधिकारिक तौर पर संन्यास की घोषणा की. धवन ने इस दौरान कहा था कि, “मैं अपने जीवन के उस मोड़ पर खड़ा हूं जहां मैं सिर्फ पुरानी यादें देख सकता हूं. मेरा सपना हमेशा भारत के लिए खेलना था और यह सच हो गया और इसके लिए मैं बहुत से लोगों का आभारी हूं. मेरा परिवार, मेरे कोच तारक सिन्हा और मदन शर्मा, जिनके मार्गदर्शन में मैंने क्रिकेट खेलना सीखा. साथ ही मेरी टीम, वे लोग जिनके साथ मैंने सालों तक खेला. मुझे उनमें एक और परिवार मिला. मुझे शोहरत, दौलत और सभी का प्यार मिला.''
 

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