ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel) ने रांची टेस्ट की पहली पारी में 90 रन बनाए जिसकी बदौलत भारतीय क्रिकेट टीम सात विकेट पर 177 के स्कोर से 307 रन के स्कोर तक पहुंच सकी. इससे इंग्लैंड की पहली पारी की बढ़त महज 46 रन की रह गई. चौथे टेस्ट के रिजल्ट के लिहाज से ध्रुव जुरेल की पारी काफी अहम रही. लेकिन इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने भारतीय टेस्ट टीम में आने से पहले जबरदस्त तैयारी की थी और नेट्स में काफी पसीना बहाया था. उन्होंने राजस्थान रॉयल्स की महाराष्ट्र के तलेगांव स्थित एकेडमी में एक दिन में 140 ओवर बैटिंग की थी. इस दौरान चार तरह के अलग-अलग के पिचेज, तीन तरह की गेंदों और कई तरह के बल्ले इस्तेमाल किए. ध्रुव ने 14 अलग-अलग गेंदबाजों के सामने एक नेट सेशन में यह तैयारी की.
23 साल के ध्रुव को जब इंग्लैंड सीरीज के लिए बतौर विकेटकीपर चुना गया था तब कई सवाल उठे थे. उनका फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड अच्छा था लेकिन आंकड़े इस तरह के हाहाकारी नहीं थे कि उन्हें टीम इंडिया से बुलावा आता. लेकिन राजकोट में डेब्यू के बाद रांची में जैसा खेल दिखाया उससे सुनील गावस्कर जैसे महान बल्लेबाज ने इस खिलाड़ी की तुलना एमएस धोनी से कर दी.
ध्रुव ने टेस्ट के लिए कैसे की तैयारी
ध्रुव ने भारतीय टेस्ट टीम से जुड़ने से पहले आरआर हाई परफॉर्मेंस एकेडमी में मुंबई के पूर्व बल्लेबाज और रॉयल्स के हाई परफॉर्मेस डायरेक्टर जुबिन भरुचा की देखरेख में तैयारी की. जुबिन समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि कैसे इस खिलाड़ी ने ट्रेनिंग के दौरान अपने शरीर को कड़ी मेहनत के लिए पुश किया. उन्होंने कहा,
हम पिछले 18 महीनों से फॉर्मेट को बाहर रखते हुए तैयारी कर रहे थे. हमारा ध्यान सिर्फ इस बात पर था कि रन कहां और कैसे बनाने हैं. डेब्यू टेस्ट मैच से ठीक पहले वह तलेगांव में राजस्थान रॉयल्स एचपीसी आए और एक दिन में 140 ओवर तक बल्लेबाजी की. स्पिन के अनुकूल विभिन्न पिचेज पर चार घंटे से अधिक समय लगा. यह अभ्यास सत्र जायसवाल के लंबे सत्र से मेल खाता था.
ध्रुव ने एक दिन में कैसे खेले 140 ओवर
भरुचा मुंबई क्रिकेट टीम में रवि शास्त्री, सचिन तेंदुलकर, संजय मांजरेकर और विनोद कांबली के साथ फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला है. उन्होंने ध्रुव की तैयारी पर कहा,
सभी (गेंदबाज और थ्रोडाउन कराने वाले) एक साथ खड़े होते हैं. और क्रम में गेंद फेंकते हैं. यह फ्लिक के लिए एक थ्रो, फिर कट, पुल, स्ट्रेट ड्राइव के क्रम में होता है. हम कई पिच (स्पिन की अनुकूल, घास वाली, उछाल वाली, गीले सीमेंट वाली) पर कई प्रकार की गेंदों (रबर, टेनिस, क्रिकेट) और कई प्रकार के बल्लों (भारी/हल्के/पतले आदि) के साथ इसे करते हैं. इसके भीतर भी हमारे पास एक समूह है जो इसे हाथ से करता है और दूसरा समूह इसे वेंजर (थ्रोडाउन उपकरण रोबोआर्म) के साथ करता है. उनके बाद स्पिनर और फिर तेज गेंदबाज होते हैं. एक नेट सेशन में लगभग 14 लोग थ्रो और गेंदबाजी करते हैं. यह परंपरागत तरीके के उलट है जहां तीन स्पिनर और तीन तेज गेंदबाज गेंदबाजी करते हैं. इस तरह हमने ध्रुव के लिए एक दिन की प्रैक्टिस में 140 ओवर पूरे किए.
जायसवाल ने भी तलेगांव में की थी प्रैक्टिस
भरुचा ने कहा कि प्रैक्टिस के दौरान खिलाड़ी को अलग-अलग तरह के शॉट के लिए तैयार किया जाता है. उन्हें लगातार दो गेंद एक जैसी नहीं फेंकी जाती. इसके जरिए उन्हें विरोधी गेंदबाजों पर दबाव बनाने के लिए तैयार किया जाता है. यशस्वी जायसवाल ने राजकोट में जेम्स एंडरसन के खिलाफ ऐसा किया था और लगातार तीन शतक लगाए.
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