टीम इंडिया बनी बहानेबाज़! पिच पर डाल रही घटिया बैटिंग का दोष, वर्ल्ड कप फाइनल से रांची टेस्ट तक एक सी कहानी

टीम इंडिया बनी बहानेबाज़! पिच पर डाल रही घटिया बैटिंग का दोष, वर्ल्ड कप फाइनल से रांची टेस्ट तक एक सी कहानी
रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ की जोड़ी अभी तक भारत को आईसीसी ट्रॉफी नहीं जिता सकी है.

Highlights:

भारतीय टीम रांची टेस्ट में इंग्लिश स्पिनर्स के आगे बैटिंग में कमाल नहीं कर सकी.

भारत रांची टेस्ट के दूसरे दिन सात में से छह विकेट शोएब बशीर व टॉम हार्टली की गेंदों पर गंवाए.

'ऐसा लगा गेंद दोपहर में थोड़ा ज्यादा रुक रही थी जबकि शाम में ऐसा कम था. ऐसा महसूस हुआ जैसे गेंद शाम में बेहतर तरीके से आ रही थी. ऐसी अवधि थी जहां गेंद रुक रही थी और हम बाउंड्री नहीं बटोर पाए. हम स्ट्राइक रोट्रेट कर रहे थे लेकिन हम बाउंड्री हासिल नहीं कर पाए.' भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ का यह बयान वर्ल्ड कप 2023 फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारने के बाद आया.

 

‘यहां पर हमने पहले जो मैच खेले हैं, उन्हें देखते हुए जैसे जैसे खेल आगे बढ़ता है, यहां का विकेट धीमा होता जाता है. इसकी प्रकृति के हिसाब से यह धीमा होता जाता है. हमें इसकी उम्मीद थी लेकिन सच कहूं तो हमने यह नहीं सोचा था कि यह दूसरे दिन से ही इतना धीमा हो जाएगा. इस तरह के अलग तरह के उछाल की उम्मीद नहीं थी.’ भारतीय टीम के बॉलिंग कोच पारस म्हाम्ब्रे ने यह टिप्पणी इंग्लैंड के खिलाफ रांची टेस्ट के दूसरे दिन के खेल के बाद की.

 

भारत का खराब खेल पर हर बार पिच को दोष
 

दोनों बयान में तीन महीने का अंतर है लेकिन कहानी भारतीय टीम की खराब बैटिंग से जुड़ी हुई है जहां पर कोचिंग स्टाफ दोष पिच पर मढ़ रहा है. द्रविड़ ने पिच के धीमे होने और बल्लेबाजों को मदद नहीं मिलने को ऑस्ट्रेलिया से हार की वजह माना था. वहीं म्हाम्ब्रे का मत है कि रांची में पिच में जैसा असमान उछाल दिखा वैसी उम्मीद नहीं की गई. वर्ल्ड कप फाइनल में भारत ने पहले बैटिंग की थी और वह 240 रन पर सिमट गया था. उसके बल्लेबाज 10 ओवर के बाद केवल चार चौके लगा सके. इस दौरान विराट कोहली, अय्यर, केएल राहुल, सूर्यकुमार यादव और रवींद्र जडेजा जैसे बल्लेबाजों ने बैटिंग की.

 

धीमी पिच पर ढल नहीं सके भारतीय बल्लेबाज

 

अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम की पिच का बर्ताव वैसा ही था जैसे कुछ सालों पहले भारतीय उपमहाद्वीप की पिचों का होता था. वह धीमी होती और उन पर उछाल नहीं मिलता था. लेकिन भारतीय बल्लेबाज पिच के हिसाब से अपने खेल में तब्दीली नहीं ला सके. क्योंकि इस मुकाबले से पहले जिस तरह की पिचों पर वे खेले वहां बल्लेबाजों के लिए मदद थी और उछाल था. इसका उलटा होते ही टीम इंडिया की सितारों से सजी बैटिंग पसर गई. दोष गया पिच पर. वर्ल्ड कप के दौरान आरोप लगे थे कि बीसीसीआई ने अपनी पसंद की पिच चुनी थी. अगर ऐसा था तो दिक्कत पिच के बजाए टीम इंडिया की तैयारियों और बल्लेबाजों की अनुकूलता की कमी में थी.

 

रांची टेस्ट में क्या हुआ

 

रांची टेस्ट में भी कहानी ऐसी ही दिखी. बॉलिंग कोच असमान उछाल और समय से पहले पिच के धीमे होने को दोष दे रहे हो लेकिन इसी पिच पर इंग्लिश टीम भी बैटिंग कर चुकी है. उसने 112 पर पांच विकेट गंवा दिए थे. लेकिन जो रूट, बेन फोक्स और ऑली रॉबिनसन ने लड़ने का जज्बा दिखाया और इंग्लैंड को 353 तक पहुंचा दिया. मेहमान टीम ने यह स्कोर आर अश्विन, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव जैसे स्पिनर्स के सामने बनाया जो भारतीय पिचों पर खेल-खेलकर बड़े हुए और आगे बढ़े हैं. इससे उलट भारत ने जिन दो स्पिनर्स-शोएब बशीर और टॉम हार्टली- के आगे छह विकेट गंवाए उन्होंने इस सीरीज से पहले टेस्ट क्रिकेट खेला तक नहीं था. फर्स्ट क्लास क्रिकेट का भी उनके पास काफी कम अनुभव था. उनके सामने भारतीय बल्लेबाज खुद को ढाल नहीं पाए. नतीजा यह है कि इंग्लैंड पहली पारी के आधार पर बड़ी बढ़त के करीब है. 

 

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