भारतीय टीम को मेलबर्न टेस्ट से पहले जो प्रैक्टिस पिचेज दी गईं उनको लेकर सवाल खड़े हुए. बताया गया कि भारतीय खिलाड़ियों को व्हाइट गेंद क्रिकेट के हिसाब से प्रैक्टिस पिच मिली. इन पर उतना उछाल नहीं था जितना मेलबर्न टेस्ट की पिच में हो सकता है. लेकिन मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड के चीफ क्यूरेटर मैट पेज ने इस बारे में बताया कि टीम इंडिया को जो प्रैक्टिस पिचेज मिली वह सालों पुराने प्रॉटोकॉल का हिस्सा हैं. उन्होंने बताया कि टेस्ट से तीन दिन पहले ही ताजा पिच मिलती है. इससे पहले अगर कोई टीम प्रैक्टिस करना चाहती है तब जो पहले से उपलब्ध हैं वहीं पिचेज दी जाती हैं.
मेलबर्न के पिच क्यूरेटर ने क्या कहा
मेलबर्न के क्यूरेटर पेज ने बताया कि मामला ऐसा नहीं था. उन्होंने कहा, 'हम लोग तीन दिन पहले टेस्ट मैच पिच बनाते हैं. अगर टीमें उससे पहले आती हैं और ट्रेनिंग करती हैं तब उन्हें वही पिच मिलती हैं जो उपलब्ध होती हैं. आज हम ताजा पिच पर प्रैक्टिस कर रहे हैं. अगर भारत सोमवार (23 दिसंबर) को आता तो उन्हें भी ताजा पिच मिलती है. हमारी यह प्रक्रिया है- तीन दिन पहले.'
भारत ने ताजा पिचेज पर एक दिन ही किया अभ्यास
भारतीय टीम ने 21 दिसंबर से मेलबर्न टेस्ट के लिए अभ्यास करना शुरू कर दिया. इसके बाद 23 दिसंबर को उसने आराम किया और 25 दिसंबर को भी खिलाड़ी रेस्ट पर ही रहे. इससे भारतीय टीम केवल एक ही दिन ताजा पिचेज पर अभ्यास कर सकी. इससे उलट ऑस्ट्रेलिया ने 23 दिसंबर से ही अभ्यास शुरू किया तो उसके खिलाड़ियों ने नई पिचेज पर ही ट्रेनिंग की है. ये पिचेज बहुत हद तक मेलबर्न ग्राउंड की मूल पिच से मेल खाती है.
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