आईपीएल में एक नियम है स्ट्रेटेजिक टाइमआउट, जिसकी शुरुआत इस लीग के दूसरे सीजन यानी साल 2009 में की गई थी और जिसका अभी तक इस्तेमाल जारी है. आईपीएल का ये 17वां सीजन है, एक बार फिर ये नियम नजर आएगा. एक बार फिर इस नियम से किसी मैच का पासा पलटेगा. कई बार तो इस नियम के बाद मुकाबला रोमांचक बना हैं, मगर इसके बावजूद सचिन तेंदुलकर समेत कई दिग्गज इस नियम की आलोचना कर चुके हैं. फिर भी लीग में ये नियम ज्यों का त्यों है.
आखिर क्यों खिलाड़ी और दिग्गज इस नियम से खुश नहीं है, इसकी वजह जानने से पहले ये इस नियम के बारे में जानना जरूरी है.
क्या है स्ट्रेटेजिक टाइमआउट?
आईपीएल में स्ट्रेटेजिक टाइमआउट एक छोटा सा ब्रेक है, जिसमें दोनों टीमों को आराम करने और आगे की रणनीति बनाने के लिए वक्त दिया जा जाता है.
स्ट्रेटेजिक टाइमआउट कितने देर का होता है?
आईपीएल में ये टाइमआउट तीन मिनट का होता है. हालांकि आईपीएल 2022 से पहले ये दो मिनट 30 सेकंड का होता था. यदि कप्तान या टीम टाइमआउट नहीं लेती है तो 9वें ओवर या 16वें ओवर बाद अंपायर ही टाइमआउट का इशारा कर देता है.
टाइमआउट से क्यों खुश नहीं हैं खिलाड़ी?
आईपीएल में स्ट्रेटेजिक टाइमआउट से खिलाड़ी और दिग्गज खुश नहीं है. सचिन तेंदुलकर तक इसकी आलोचना कर चुके हैं. सचिन का मानना है कि ये बहुत लंबा है और इससे टीम की लय भी प्रभावित होती है. इससे उनकी मुंबई इंडियंस का एक मैच भी प्रभावित हो चुका है. डेक्कन चार्जर्स के खिलाफ 160 रनों के टारगेट का पीछा करते हुए मुंबई ने टाइमआउट से पहले आधे रन बना लिए थे, मगर इस ब्रेक के बाद उनकी टीम की लय बिगड़ गई, जिससे मुंबई मैच हार गई.
ब्रेक के कारण टीमों की लय बिगड़ने के और भी मामले सामने आए. प्लेयर इस नियम की वजह से इसीलिए खुश नहीं है, क्योंकि अगर टीम टाइमआउट नहीं लेती है तो अंपायर खुद ही तय समय पर टाइमआउट का इशारा कर देते हैं. उस वक्त भी, जब टीम को दो या तीन की जरूरत हो. टीमें परिणाम के काफी करीब हो. ऐसे वक्त में टाइमआउट से टीम अपनी लय गंवा देती है और कई बार हाथ आया मैच गंवा देती है.
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