IPL 2025 में मचे बवाल के बीच जानिए नो बॉल कितनी तरह की होती है, बॉलर की गलती नहीं होने पर भी मिलती है सजा
आईपीएल 2025 में लगातार दो मैच में नो बॉल के चलते विवाद देखने को मिला. दिल्ली कैपिटल्स-राजस्थान रॉयल्स मैच में मिचेल स्टार्क और मुंबई इंडियंस-सनराइजर्स हैदराबाद मैच में जीशान अंसारी की गेंद को नो बॉल देने पर सवाल उठे.

आईपीएल 2025 में लगातार दो मैच में नो बॉल के चलते विवाद देखने को मिला. दिल्ली कैपिटल्स-राजस्थान रॉयल्स मैच में मिचेल स्टार्क और मुंबई इंडियंस-सनराइजर्स हैदराबाद मैच में जीशान अंसारी की गेंद को नो बॉल देने पर सवाल उठे. अंपायर्स से इस तरह के फैसले काफी कम देखने को मिलते हैं लेकिन उन्होंने कोई गलती नहीं की और नियमों के तहत दोनों फैसले सही थे. ऐसे में जान लेते हैं कि कब-कब गेंद को नो बॉल दिया जा सकता है.

फ्रंट फुट नो बॉल- क्रिकेट में यह सबसे सामान्य नो बॉल है. इसमें अगर गेंद फेंकते समय बॉलर का पैर नॉन स्ट्राइक क्रीज से पूरी तरह बाहर रहता है तो अंपायर नो बॉल देता है.

बैक फुट नो बॉल- अगर गेंद फेंकते समय गेंदबाज का पिछला पैर रिटर्न क्रीज यानी स्टंप्स के आजूबाजू की लाइन को काटता है तो नो बॉल होती है. नियम 21.5 के अनुसार, बॉलर का पिछला पैर क्रीज के अंदर ही रहना चाहिए. राजस्थान के खिलाफ सुपर ओवर में मिचेल स्टार्क का पैर बाहरी लाइन को छू रहा था और गेंद नो बॉल करार दी गई.

एक से ज्यादा टप्पा खाने पर नो बॉल- अगर गेंद बल्लेबाज के पास एक से ज्यादा टप्पे खाने के बाद पहुंचती है तो अंपायर उसे नो बॉल कह सकता है. अगर गेंद बल्लेबाज के पास पहुंचने से पहले ही पिच पर रुक जाए तो भी नो बॉल होती है.

विकेटकीपर के हाथ स्टंप्स से आगे होने पर नो बॉल- अगर बल्लेबाज के शॉट लगाते समय विकेटकीपर के हाथ या दस्ताने स्टंप्स से आगे पाए जाते हैं तो वह गेंद नो बॉल होती है. ऐसा 17 अप्रैल को मुंबई-हैदराबाद मैच में हुआ और रयान रिकल्टन नॉट आउट रहे क्योंकि हेनरिक क्लासन के दस्ताने स्टंप्स से आगे थे.

अंपायर को बॉलिंग का तरीका नहीं बताने पर नो बॉल- अगर गेंदबाज बॉल कराने से पहले अंपायर को नहीं बताता है कि वह किस हाथ से बॉलिंग करेगा, स्पिन या पेस कराएगा या ओवर या राउंड दी विकेट फेंकेगा तो अंपायर नो बॉल दे सकता है.

बॉल के फील्डर से टकराने पर नो बॉल- गेंदबाज ने गेंद फेंकी और वह बल्लेबाज के पास पहुंचने से पहले अगर किसी फील्डर से टकरा जाती है तब वह नो बॉल होती है.

अंडरआर्म बॉलिंग पर नो बॉल- गेंदबाज अगर बल्लेबाज को ओवरआर्म या साइडआर्म की जगह किसी और तरह से गेंद फेंकता है तो वह नो बॉल होती है. पहले अंडरआर्म बॉलिंग की अनुमति थी. 1981 में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज ट्रेवर चैपल ने ऐसी गेंद फेंकी थी और इसके बाद नियम बदले गए.

चकिंग करने पर नो बॉल- अगर गेंदबाज 15 डिग्री से ज्यादा अपनी कोहनी को मोड़ता है तब अंपायर गेंद को नो बॉल कह सकता है. अगर थ्रो करते हुए कोई बॉलिंग करता है तो वह भी नो बॉल है.

बॉलिंग के दौरान नॉन स्ट्राइक स्टंप्स बिखरने पर नो बॉल- अगर गेंदबाज गेंद फेंकते समय नॉन स्ट्राइक के स्टंप्स बिखेर देता है या उसके पैर या कपड़े से बेल्स गिर जाती है तो अंपायर नो बॉल दे सकता है. 2013 से पहले ऐसा होने पर डेड बॉल होती थी.

ज्यादा फील्डर लगाने पर नो बॉल- अगर फील्डिंग कप्तान लेग साइड में तय संख्या से ज्यादा फील्डर तैनात करता है तो अंपायर उस गेंद को नो बॉल करार देगा. अधिकतम पांच फील्डर लेग साइड में रह सकते हैं. इसी तरह से 30 गज के सर्किल के बाहर तय संख्या से ज्यादा फील्डर लगाने पर भी नो बॉल होती है.

दो से ज्यादा बाउंसर पर नो बॉल- अगर कोई गेंदबाज एक ओवर में दो से ज्यादा बाउंसर फेंक देता है तो इसके बाद इस तरह की गेंद नो बॉल की कैटेगरी में आती है.

कमर से ऊंचाई की गेंद नो बॉल- अगर गेंद बिना टप्पा खाए बल्लेबाज के पास पहुंचती है और इस दौरान कमर से ऊपर रहती है तब अंपायर उसे नो बॉल करार देता है. लगातार दो बार ऐसा करने पर बॉलर को आगे बॉलिंग करने से रोका जा सकता है.

पिच से बाहर टप्पा खाने पर नो बॉल- अगर गेंदबाज गेंद फेंकता है और वह पिच के बाहर टप्पा खाती है तो अंपायर इसे नो बॉल करार देता है. आईपीएल में इस तरह की घटना हो चुकी है.