14 साल की उम्र में IPL शतक ठोकने वाले वैभव सूर्यवंशी ने किस क्लास तक की है पढ़ाई, कैसे मैनेज करते हैं स्कूल

14 साल की उम्र में IPL शतक ठोकने वाले वैभव सूर्यवंशी ने किस क्लास तक की है पढ़ाई, कैसे मैनेज करते हैं स्कूल
वैभव सूर्यवंशी बिहार के रहने वाले हैं.

Story Highlights:

वैभव सूर्यवंशी ने अपने तीसरे ही आईपीएल मैच में शतक लगाया.

वैभव सूर्यवंशी बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले हैं.

वैभव सूर्यवंशी को राजस्थान रॉयल्स ने 1.10 करोड़ रुपये में लिया था.

IPL 2025: वैभव सूर्यवंशी ने आईपीएल 2025 में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हुए गुजरात टाइटंस के खिलाफ शतक उड़ाया. उन्होंने इस पारी के जरिए रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी. वैभव ने 38 गेंदों का सामना किया और 101 रन की पारी खेली. उन्होंने 11 छक्के और सात चौके लगाए और 101 में से 94 रन इनके जरिए बनाए. बिहार से आने वाले 14 साल के इस खिलाड़ी ने अपने तीसरे ही आईपीएल मैच में शतक लगाया. उन्होंने लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ मैच से डेब्यू किया था और छक्के के जरिए आईपीएल का पहला रन जुटाया था. मैदान पर चौके-छक्कों की बारिश करने वाले वैभव का पढ़ाई-लिखाई का क्या हिसाब किताब है, वे स्कूल का काम किस तरह से मैनेज करते हैं.

वैभव सूर्यवंशी की असली उम्र, पढ़ाई, कमाई, बल्ले की कीमत से लेकर खान-पान तक, हैरान कर देंगी ये बातें

वैभव अभी नौवीं कक्षा में पढ़ते हैं. पटना के एक प्राइवेट स्कूल के वे छात्र हैं. इससे पहले आठवीं कक्षा तक वे ताजपुर की डॉक्टर मुक्तेश्वर सिन्हा स्कूल तक पढ़े. उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने आज तक से बातचीत में कहा था कि दिन में क्रिकेट की प्रैक्टिस के चलते वैभव सुबह ट्यूशन जाता है. उस पर पढ़ाई का ज्यादा प्रेशर नहीं डाला है. क्रिकेट और पढ़ाई दोनों पर एक साथ बराबर ध्यान नहीं दिया जा सकता है. उससे 95 फीसदी नंबर लाने की उम्मीद रखना गलत है. ऐसे में जितनी पढ़ाई हो सके उतनी काफी है.

क्रिकेट का वैभव की पढ़ाई पर पड़ा असर

 

वहीं वैभव के कोच ब्रजेश झा ने बताया कि क्रिकेट में आने के बाद से उसकी पढ़ाई पर असर पड़ा है. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, जब से उसने क्रिकेट को गंभीरता से लेना शुरू किया है तब से पढ़ाई थोड़ी नीचे गई है. लेकिन वह जल्द ही कवर कर लेगा. वह दोनों पर ध्यान देना चाहता है. 

वैभव जब सात साल के थे तब से उन्होंने क्रिकेट की प्रैक्टिस शुरू की थी. पिता का कहना है कि छुटपन से ही वह अच्छा खेलता था. यह देखने के बाद उसे ब्रजेश झा के कैंप में भेजना शुरू कर दिया. उसने इस खेल की बाकी बुनियादी चीजें उनकी देखरेख में ही सीखीं. फिर जब वैभव नौ साल का हुआ तो उसे पटना में मनीष ओझा की एकेडमी में दाखिला दिलाया गया. इसके लिए वैभव समस्तीपुर से पटना का सफर किया करते थे.