ग्रीन पार्क के क्यूरेटर ने बुधवार को कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच दूसरे टेस्ट के लिए पिच आदर्श होगी जो पहले दो सत्र में तेज गेंदबाजों और आखिरी तीन दिनों में स्पिनरों की मदद करेगी. दूसरा टेस्ट शुक्रवार से शुरू होगा. क्यूरेटर शिव कुमार ने पीटीआई से कहा, ‘‘इसमें चेन्नई में हुए मैच जैसा अहसास होगा. इसमें सभी के लिए कुछ न कुछ होगा. पहले दो सत्रों में उछाल मिलेगा और पहले दो दिनों में बल्लेबाजी के लिए यह काफी अच्छा रहेगा. फिर आखिरी तीन दिनों में स्पिनरों की भूमिका अहम होगी. ’’
भारत ने चेन्नई में पहले टेस्ट में बांग्लादेश को 280 रन से हराया था. ग्रीन पार्क की पिच के लिए काली मिट्टी हमेशा की तरह उन्नाव के पास गांव से मंगाई गई है जो कानपुर से 23 किमी दूर है. काली मिट्टी से बनी पिचें पारंपरिक रूप से स्पिनरों की मदद करती हैं जबकि लाल मिट्टी तेज गेंदबाजों की मदद करती है. पिच के धीमे रहने की उम्मीद है.
काली मिट्टी से बनी है पिच
उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम इस मिट्टी का जांच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से करवाते हैं. यह एक विशेष मिट्टी है जो काली मिट्टी गांव के एक तालाब के पास पाई जाती है. हम वर्षों से गांव से काली मिट्टी लाते रहे हैं. ’’ यूपीसीए ने पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए दूसरे टेस्ट के दौरान प्लास्टिक के उपयोग को काफी कम करने का फैसला किया है.
कानपुर के मैदान की पिच तैयार करने वाले क्यूरेटर शिव कुमार ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा,पहली बात तो इस बार ये टर्निंग ट्रैक नहीं होगा. जैसा पहले देखने को मिलता था. इस बार गेंद ज्यादा घूमेगी नहीं और एक या दो दिन बाद ही स्पिनर्स को मदद मिल सकेगी. इस बार की पिच में उछाल पहले से बेहतर होगा और बल्लेबाज आराम से शॉट खेल सकेंगे. ग्रीन पार्क के बारे में जो एक धारणा बन गई है, उससे ये पिच पूरी तरह से अलग है.
यूपीसीए ने स्टेडियम के अंदर ‘स्नैक्स’ परोसने के लिए प्लास्टिक की प्लेटों पर प्रतिबंध लगा दिया है और केवल कागज़ की प्लेटों की अनुमति दी जाएगी. स्टेडियम के निदेशक संजय कपूर ने कहा, ‘‘यह ग्रीन पार्क में होने वाला मैच है और हम इसे ‘ग्रीन’ (हरित) मैच बनाने का प्रयास कर रहे हैं. हमने जितना संभव हो सके उतना कम प्लास्टिक का उपयोग करने का फैसला किया है. ’’