टीम इंडिया ने जब से न्यूजीलैंड के खिलाफ 3 मैचों की टेस्ट सीरीज गंवाई है तब से टीम के हेड कोच गौतम गंभीर को निशाना बनाया जा रहा है. लेकिन इस बीच पूर्व चयनकर्ता सुनील जोशी गौतम गंभीर के बचाव में उतरे हैं. हार के बाद गंभीर की कोचिंग की आलोचना की गई है क्योंकि भारत को अपने घर में पहली बार 3 मैचों की टेस्ट सीरीज में वाइट-वॉश का सामना करना पड़ा. हालांकि, जोशी को लगता है कि लोगों को गंभीर के कार्यकाल के सिर्फ पांच महीनों के भीतर इतनी जल्दी सवाल नहीं उठाने चाहिए. जोशी ने कहा कि गंभीर की सूझबूझ और प्रतिबद्धता का मूल्यांकन नहीं किया जाना चाहिए.
गंभीर को और समय मिलना चाहिए
टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में जोशी ने कहा कि, "गौतम गंभीर को जानता हूं, वह एक जुझारू क्रिकेटर है और हम खेल या टीम के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को जानते हैं. कोई भी कोच कभी भी परिणाम के मामले में गलत पक्ष में नहीं रहना चाहेगा. हमें उसे समय देने की जरूरत है. अब हम दो सीरीज के आधार पर आंकलन करते हैं, सिर्फ पांच टेस्ट मैच. बेशक, घरेलू धरती पर हम हार गए हैं. मुझे यकीन है कि टेस्ट मैचों के तरीके से वह भी निराश होगा, लेकिन उसकी सूझबूझ या उसकी प्रतिबद्धता को आंकना नहीं चाहिए.''
दो साल बाद सवाल उठने चाहिए
पूर्व भारतीय सेलेक्टर को उम्मीद थी कि गंभीर और उनके कोचिंग स्टाफ के जमने के बाद वे और मजबूत होकर उभरेंगे. उन्होंने कहा कि बेहतर स्पष्टता के लिए दो साल बाद सवाल उठाए जाने चाहिए. "वह एक जुझारू खिलाड़ी है और वह सफल होकर उभरेगा. मुझे यह पता है. हमें उन्हें (गंभीर और उनके कोचिंग स्टाफ को) जमने के लिए समय देना होगा. दो साल बाद, परिणाम हमारे सामने होंगे. तब हम आंकलन कर सकते हैं.''
गंभीर के कोचिंग कार्यकाल की शुरुआत श्रीलंका के खिलाफ 0-2 की एकदिवसीय सीरीज हार के साथ हुई, जो पिछले 27 सालों में भारत की इस देश के खिलाफ पहली हार थी. सूर्यकुमार यादव की अगुवाई वाली टीम ने अब तक श्रीलंका और बांग्लादेश को क्लीन स्वीप करते हुए खेल के सबसे छोटे फॉर्मेट में सफलता हासिल की है. इसके बाद टीम को बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज जीत मिली लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम बुरी तरह हार गई.
ये भी पढ़ें: