Pakistan Hockey: पाकिस्तान पुरुष हॉकी टीम पेरिस ओलिंपिक 2024 के लिए क्वालिफाई करने में नाकाम रही. यह लगातार तीसरा मौका है जब वह ओलिंपिक से बाहर है. पाकिस्तान हॉकी टीम आखिरी बार 2012 लंदन ओलिंपिक में खेली थी. तब वह सातवें नंबर पर रही थी. पाकिस्तान तीन बार की ओलिंपिक विजेता टीम है और तीन बार ही वह इस टूर्नामेंट को मिस कर चुकी है. उसे 21 जनवरी को ओमान में ओलिंपिक क्वालीफायर के तीसरे स्थान के लिए खेले गए मैच में न्यूजीलैंड से 2-3 से हार मिली. इस नतीजे के बाद पाकिस्तान में हॉकी के चाहने वाले बुरी तरह निराश हैं. पूर्व खिलाड़ी हॉकी की हालत को लेकर दुखी हैं. एक समय पाकिस्तान की गिनती हॉकी की अव्वल टीमों हुआ करती थी. उसने 1960, 1968, और 1984 में गोल्ड जीते थे. इनके अलावा पांच बार बाकी मेडल भी हासिल किए.
विश्व कप (1994) और चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली पाकिस्तान टीम का हिस्सा रहे ओलिंपियन वसीम फिरोज ने कहा, ‘जब टीम को सिर्फ 18 दिनों के अभ्यास के साथ ओलिंपिक क्वालीफायर भेजा जाएगा तो उससे आप क्या उम्मीद करते हैं. इस प्रतियोगिता में बाकी सभी टीमें महीनों की तैयारी और प्रशिक्षण के साथ पहुंची थी.’ पाकिस्तान में हॉकी का प्रबंधन पिछले कुछ समय से विवादों में रहा है. देश में हॉकी का संचालन करने वाली संस्था के पास खिलाड़ियों और कोच को भत्ता और वेतन देने के लिए पैसा नहीं है. वित्तीय संकट के कारण पीएचएफ (पाकिस्तान हॉकी महासंघ) को कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों से हटना पड़ा.
पाकिस्तान हॉकी के दिग्गजों ने क्या कहा
हॉकी के मैदान पर पाकिस्तान के चिर-प्रतिद्वंद्वी भारत ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक के साथ पिछले साल पेरिस ओलिंपिक का टिकट पक्का कर लिया. राष्ट्रीय चयनकर्ता फिरोज ने कहा कि देश को आंतरिक मुद्दों को सुलझाने तक अंतरराष्ट्रीय हॉकी खेलना बंद कर देना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ियों को देने के लिए पैसे नहीं है और राष्ट्रीय महासंघ में जमीनी स्तर की प्रतियोगिताओं को लेकर भी राजनीति चरम पर होती है. इस तरह बेइज्जत होने से अच्छा है कि अपनी आंतरिक चीजें सही करें और फिर अंतरराष्ट्रीय हॉकी खेले.’
पूर्व कप्तान समीउल्लाह ने कहा कि पाकिस्तान हॉकी के गिरते स्तर को देखकर उन्हें निराशा हुई है. उन्होंने कहा, ‘मेरा मतलब है, अगर हम एक मैच भी नहीं जीत सके जो हमारे लिए फाइनल जैसा था तो क्या होने वाला है? न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच के आखिरी क्वार्टर में खिलाड़ियों के पास जीत सुनिश्चित करने के लिए फिटनेस और जज्बे की कमी दिखी.’
पूर्व कप्तान हसन सरदार ने भी इसे निराशाजनक दिन करार देते हुए कहा, ‘मेरा मतलब है कि मुझे नहीं पता कि सरकार क्या कर रही है क्योंकि ओलिंपिक क्वालीफायर से कुछ हफ्ते पहले महासंघ के अध्यक्ष को बर्खास्त कर दिया जाता है और वह फैसले को मानने से इनकार कर देता है. कोच बदले जाते हैं, पुराने खिलाड़ियों को वापस लाया जाता है.’
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