वर्ल्ड एथलेटिक्स ने साल 2022 में ऐलान किया था कि पेरिस ओलिंपिक 2024 में ट्रैक इवेंट्स में हर्डल इवेंट समेत 200 मीटर से 1500 मीटर तक में रेपेशाज राउंड होंगे. कुश्ती, जूडो और ताइक्वांडो जैसे खेलों में रेपेशाज आम बात है, मगर पेरिस ओलिंपिक में पहली बार एथलेटिक्स में क्वालीफिकेशन फॉर्मेट का इस्तेमाल किया जाएगा.
क्या है रेपेशाज राउंड?
रेपेशाज शुरुआती दौर में हारने वालों प्लेयर्स को दूसरा मौका देकर मेडल की रेस में बने रहने का मौका देता है. ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि ड्रॉ के कारण प्रतियोगिता की शुरुआत में कुछ एथलीट बहुत मजबूत दावेदारों से भिड़ते हैं. हालांकि इसका इस्तेमाल हर खेल में अलग-अलग तरह से होता है. हर खेल में इसके इस्तेमाल के लिए अलग नियम है.
ओलिंपिक में किन खेलों में रेपेशाज का किया जाता है इस्तेमाल?
पेरिस 2024 ओलिंपिक में रेपेशाज का इस्तेमाल एथलेटिक्स, रोइंग, कुश्ती, जूडो, ताइक्वांडो में किया जाएगा. रग्बी 7 जैसे कुछ अन्य खेलों में पेरिस 2024 के लिए क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में रेपेशाज राउंड का इस्तेमाल किया गया था.
कैसे होते हैं रेपेशाज राउंड?
हर खेल में रेपेशाज राउंड अलग-अलग होते हैं.
एथलेटिक्स: एथलेटिक्स में ज़्यादातर इवेंट में एक शुरुआती राउंड होता था. उसके बाद सेमीफाइनल और फाइनल होता था. इस फॉर्मेट में हर रेस से टॉप तीन खिलाड़ी अगले राउंड में पहुंचते थे. इन टॉप तीन के अलावा सबसे तेज एथलीट के लिए भी कुछ स्लॉट रिजर्व किए गए थे. एक क्वालिफिकेशन को अक्सर 'q' के नाम से जाना जाता था, जबकि सीधे क्वालिफिकेशन के लिए 'Q' होता था. अब 'q' को हटा दिया गया है और शुरुआती दौर से क्वालिफाई ना करने वाले रेपेशाज में जाएंगे. ऐसे में उनके पास सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करने का मौका होगा. यानी 200 से 1500 मीटर तक के इवेंट्स में अब शुरुआती, रेपेशाज, सेमीफाइनल और फाइनल चार राउंड होंगे.
कुश्ती, जूडो और ताइक्वांडो: इन तीन खेलों में रेपेशाज के नियम एक जैसे हैं. यहां फाइनलिस्ट से हारने वाले सभी एथलीट ब्रॉन्ज मेडल की रेस में बने रहते हैं. ये उन प्लेयर्स के लिए दूसरा मौका होता है, जो कठिन ड्रॉ के कारण एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी से हार गए. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि एक पहलवान 'ए' फाइनल में एंट्री करने के लिए तीन राउंड में 'बी', 'सी', 'डी' को हराता है. ऐसे में 'बी' और 'सी' रेपेशाज का पहला राउंड खेलेंगे और दोनों में जो भी विजेता रहेगा, वो ब्रॉन्ज मेडल के लिए 'डी' से भिड़ेगा. दूसरे फाइनलिस्ट से हारने वाले पहलवानों के बीच भी ऐसा ही राउंड होगा. यही वजह है कि इन खेलों खेलों में दो ब्रॉन्ज मेडलिस्ट होते हैं.
रोइंग: रोइंग में रेपेशाज ट्रैक इवेंट की तरह ही होता है. हर हीट से तीन सबसे तेज रोअर या टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंचती हैं. बाकी रेपेशाज राउंड में जाते हैं. हर रेपेशाज रेस से टॉप दो खिलाड़ी भी क्वार्टर फाइनल में पहुंचते हैं.
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