अरशद नदीम ने पाकिस्तान को 32 सालों में पहली बार गोल्ड मेडल दिला दिया है. अरशद ने पेरिस ओलिंपिक्स में जैवलिन थ्रो इवेंट में ये कमाल किया और नया ओलिंपिक रिकॉर्ड बना दिया. अरशद ने 92.27 मीटर का थ्रो फेंका. अरशद से पहले पाकिस्तान की तरफ से किसी भी एथलीट ने इंडिविजुअल इवेंट में गोल्ड नहीं जीता था. पाकिस्तान के नाम इस इवेंट से पहले तीन गोल्ड मेडल्स थे. इसमें फील्ड हॉकी में टीम ने साल 1960, 1968 और 1984 में ये कमाल किया था.
पाकिस्तान को साल 1992 बार्सिलोना के बाद अब जाकर गोल्ड मेडल मिला है. अरशद की कहानी काफी ज्यादा भावुक कर देने वाली है. उनके पास न तो स्पॉन्सर था और न ही जैवलिन खरीदने के लिए पैसे. लेकिन इसके बावजूद अरशद ने हर मुश्क्लों को पार किया और ये साबित कर दिया कि असली चैंपियन वही हैं.
नदीम बनना चाहते थे क्रिकेटर
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अरशद पहले क्रिकेटर बनना चाहते थे. नदीम ने अल जजीरा के साथ इंटरव्यू में कहा था कि मैं काफी बढ़िया तेज गेंदबाज हुआ करता था. मैंने कई टूर्नामेंट्स में भी हिस्सा लिया था. अरशद अपने गांव में अपनी तेज गेंदबाजी के लिए जाने जाते थे. वो अकेले ही पूरी टीम को आउट कर देते थे. अगर वो आज भी खेलते तो मुझे पूरा विश्वास है कि वो शोएब अख्तर जितना तेज होते. लेकिन नदीम अपने पिता और दो भाईयों के चलते क्रिकेट से दूर हो गए.
नदीम ने कहा था कि उनके पिता को कभी क्रिकेट पसंद नहीं था. वो मुझे कहते थे कि तुम मैच जीतने के लिए पूरी मेहनत करते हो लेकिन तुम्हारे साथी सबकुछ तुम पर छोड़ देते हैं और वो कुछ नहीं करते. इसलिए तुम कोई और खेल खेलो. नदीम के पिता ने उन्हें ये भी कहा था कि क्रिकेट काफी मशहूर खेल है और तुम इसमें आगे नहीं जा पाओगे. लेकिन नदीम के भाई ने उनका हौंसला दूसरे खेलों के लिए बढ़ाया. इसके बाद वो एथलेटिक्स, स्प्रिंट, लॉन्ग जंप, ट्रिपल जंप में हिस्सा लेने लगे. इसके बाद एक इवेंट में उनके टैलेंट को किसी ने पहचाना और फिर बाद में वो जैवलिन में आगे बढ़ने लगे. नदीम को भी ये पता नहीं था भविष्य में वो जैवलिन में ओलिंपिक में गोल्ड मेडल अपने नाम कर लेंगे.
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