निशांत देव बॉक्सिंग में भारत के मेडल की सबसे बड़ी उम्मीद थे. वो ओलिंपिक मेडल से सिर्फ एक जीत दूर थे, मगर वो क्वार्टर फाइनल में अपने करियर का सबसे अहम मुकाबला नहीं जीत पाए. निशांत अगर ये मुकाबला जीत जाते तो पेरिस ओलिंपिक में उनका एक मेडल पक्का हो जाता है और वो 16 साल में ओलिंपिक मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बन जाते, मगर क्वार्टर फाइनल में ऐसा कुछ हुआ, जिसकी किसी को उम्मीद ना थी. खुद निशांत को भी तीन राउंड खत्म होने के बाद उस रिजल्ट की उम्मीद नहीं थी.
71 किग्रा वेट कैटेगरी में निशांत मेक्सिको के मार्को वर्डे के खिलाफ करो या मरो मुकाबले की तरह लड़े. पूरे मुकाबले में उन्होंने अपना दबदबा बनाए रखा. तीन राउंड होने के बाद हर भारतीय खुश था, क्योंकि मुकाबला निशांत के पक्ष में जाता नजर आ रहा था. निशांत भी पूरे विश्वास से भरे थे, मगर जब विजेता के नाम का ऐलान हुआ तो हर कोई हैरान रह गया. मार्को वर्डे 4-1 से क्वार्टर फाइनल जीत सेमीफाइनल में पहुंचे और निशांत इसी के साथ ओलिंपिक से बाहर हो गए, मगर उनकी हार के बाद बवाल मच गया.
विजेंदर सिंह, हिना सिद्धू समेत भारतीय फैंस ने इस मुकाबले के परिणाम पर सवाल खड़े किए हैं. भारतीय फैंस ने तो जजों पर मेडल चोरी तक का आरोप लगाया. 2008 बीजिंग ओलिंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट विजेंदर सिंह ने स्कोरिंग सिस्टम पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा-
मुझे नहीं पता कि स्कोरिंग सिस्टम क्या है, लेकिन मुझे लगता है कि बहुत करीबी मुकाबला था. वो बहुत अच्छा खेला. कोई ना भाई...
भारत की दिग्गज पिस्टल शूटर हिना सिद्धू ने कहा-
एक बेहतरीन प्रदर्शन के बाद निशांत देव को टूटा हुआ देख दुख होता है. यह एक करीबी मुकाबला था और हमें लगा कि निशांत जीत जाएंगे, लेकिन जजों की राय अलग थी.
निशांत पेरिस ओलिंपिक से बाहर होने वाले 5वें मुक्केबाज हैं. टोक्यो ओलिंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट लवलीना बोरगोहेन इस ओलिंपिक में चुनौती पेश करने वाली अब एकमात्र भारतीय मुक्केबाज हैं.
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