मनु भाकर ने बीते दिनों 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रॉन्ज जीतकर इतिहास रच दिया. वो ओलिंपिक मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज हैं. उन्होंने इस मेडल के साथ भारत का 12 साल का सूखा भी खत्म कर दिया. भारत ने इससे पहले 12 साल से शूटिंग में कोई मेडल नहीं जीता था. मनु इस ओलिंपिक में लगातार दूसरे ब्रॉन्ज के करीब पहुंच गई हैं. उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में सरबजोत सिंह के साथ ब्रॉन्ज मेडल मैच के लिए जगह बना ली है.
आज पूरे देश में मनु की चर्चा हैं. वो एक और इतिहास रचने के करीब पहुंच गई हैं. उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया था, जब उन्होंने शूटिंग छोड़ने का फैसला कर लिया था. उन्होंने मीडियो से बातचीत में अपने करियर के टर्निंग पॉइंट पर बात करते हुए कहा-
पिछले साल मेरे कोच ने मुझसे पूछा- तुम अपनी जिंदगी में क्या करना चाहती हो. मैंने उनसे कहा कि मुझे नहीं पता, शायद मैं एक या दो साल में शूटिंग छोड़ दूं और शायद आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाऊं या शायद सर्विसेज के लिए कोशिश करूं, मगर उन्होंने मुझसे कहा- मुझे लगता है कि तुम ना केवल देश में बल्कि दुनिया में बेस्ट निशानेबाजों में से एक हो, इसलिए यह तुम्हें ही तय करना है कि तुम जिंदगी में क्या करना चाहती हो. इससे मुझे प्रेरणा मिली.
कोच से पूछा ये सवाल
मनु के पर्सनल कोच अपने जमाने के दिग्गज निशानेबाज रह चुके जसपाल राणा है, जो मनु के साथ इस वक्त पेरिस में हैं. मनु ने बताया कि जब उन्होंने कोच से पूछा कि अगर वो उनकी जगह होते तो क्या करते . इसके जवाब ने कोच ने उनसे कहा था कि वो इस खेल के लिए अपना सबकुछ लगा देते और पीछे नहीं देखते और अपने सपने को पूरा करने की कोशिश करते.
मनु भाकर राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अभिनव बिंद्रा, विजय कुमार, गगन नारंग के बाद ओलिंपिक मेडल जीतने वाली 5वीं भारतीय निशानेबाज हैं.
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