Kila Raipur Sports Festival 2025: हर साल होने वाले किला रायपुर रूरल ओलिंपिक का 2019 से 2022 तक क्यों नहीं हुआ आयोजन?

Kila Raipur Sports Festival 2025: हर साल होने वाले किला रायपुर रूरल ओलिंपिक का 2019 से 2022 तक क्यों नहीं हुआ आयोजन?
किला रायपुर खेल 2013 के दौरान एक व्यक्ति अपने मुंह से हल उठाता हुआ

Highlights:

हर साल फरवरी के पहले सप्‍ताह में किला रायपुर रूरल ओलिंपिक का आयोजन होता है.

चार साल किला रायपुर रूरल ओलिंपिक का आयोजन नहीं हो पाया था.

किला रायपुर रूरल ओलिंपिक का करीब 92 सालों का है इतिहास.

Kila Raipur Rural Olympic : ओलिंपिक...दुनिया का वह सबसे बड़ा खेल इवेंट, जिसमें सैकड़ों देश हिस्‍सा लेते हैं, हजारों खिलाड़ी अपना दमखम दिखाते हैं और इस बाजी को जीतने वाला बनता है दुनिया का बेस्ट खिलाड़ी. हर खिलाड़ी का सपना इसमें खेलने का होता है. ओलिंपिक में प्‍लेयर्स में जो जोश और जुनून नजर आता है, कुछ उसी तरह का जोश और जुनून लुधियाना के पास बसे गांव किला रायपुर में होने वाले रूरल ओलिंपिक में भी प्‍लेयर्स में दिखता है. यहां भी जीत के लिए खिलाड़ी अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं और जीतने वाला बनता है किला रायपुर रूरल ओलिंपिक का विजेता.

'किला रायपुर स्पोर्टस फेस्टिवल' पंजाब के शहर लुधियाना से करीब 19 किलोमीटर दूर स्थित किला रायपुर गांव की पहचान है. इसे किला रायपुर रूरल ओलिंपिक के नाम से भी जाना जाता है. हर साल फरवरी के पहले सप्‍ताह में इस फेस्टिवल का आयोजन होता है. इसका  करीब 92 साल का अद्भुत इतिहास रहा है. प्‍लेयर्स और लोगों को हर साल इस इवेंट का बेसब्री से इंतजार रहता है. हालांकि किला रायपुर रूरल ओलिंपिक के 92 साल के लंबे सफर में एक ऐसा भी समय आया, जब लगातार चार साल तक इस इवेंट का आयोजन नहीं हो पाया.  

4 साल बाद किला रायपुर रूरल ओलिंपिक की वापसी

हर साल फरवरी में आयोजित होने वाले इस इवेंट का आयोजन दो वजहों के चलते लगातार चार साल तक नहीं हो पाया था. पहली वजह कानूनी विवाद रहा और दूसरी वजह कोविड. इन दो वजहों के चलते 2019 से लेकर 2022 तक इन खेलों का आयोजन नहीं हो सका. इसके बाद साल 2023 में  ग्रेवाल स्पोर्ट्स क्लब से कानूनी जंग जीतने के बाद 2023 से इस इवेंट की वापसी हुई और तब से किला रायपुर स्पोर्ट्स सोसाइटी इन खेलों का आयोजन कर रही है.

कैसे हुई किला रायपुर रूरल ओलिंपिक की शुरुआत? 

किला रायपुर रूरल ओलिंपिक का इतिहास कई दशकों पुराना है. इसकी शुरुआत के पीछे भी काफी दिलचस्‍प कहानी है. दरअसल बात साल 1933 की है. किला रायपुर गांव की हॉकी टीम पहली बार जालंधर में एक टूर्नामेंट खेलने गई थी और टीम ने टूर्नामेंट में कमाल का प्रदर्शन कर दूसरा स्‍थान हासिल किया था. चारों तरफ किला रायपुर गांव की टीम की चर्चा होने लगी थी. टीम की इस उपलब्धि के बाद गांव के प्रमुख जाट सिख ग्रेवाल समुदाय ने हर साल एक ग्रामीण स्तर का टूर्नामेंट कराने का फैसला किया, जिसमें वॉलीबॉल और ट्रैक इवेंट शामिल थे.

समय के साथ साथ इसमें कई और भी खेल जुड़ते गए. 40 के दशक में एथलेटिक्स ट्रैक बनाया गया और फिर उसके भी मुकाबले शुरू हो गए. किला रायपुर रूरल ओलिंपिक में होने वाले खेलों की बात करें तो इसमें कबड्डी, स्टापू, गिटा पत्थर (गिटे) के साथ ही हॉकी, रेस, साइक्लिंग, हाई जंप, बोतल के सहारे खड़े होना, बालों के सहारे वजन उठाना, गाड़ियों को खींचना, ट्रेक्टर को शरीर के ऊपर से निकालना जैसे खेल शामिल हैं. इस साल इसका आयोजन 31 जनवरी से दो फरवरी के बीच होगा.

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