भारतीय क्रिकेट टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैच की टेस्ट सीरीज में 2-0 से पिछड़ गई. इसके साथ ही उसका 12 साल से घर पर अजेय रहने का सिलसिला भी खत्म हो गया. बेंगलुरु टेस्ट के बाद पुणे में खेले गए दूसरे मुकाबले में भी टीम इंडिया टक्कर नहीं दे सकी और उसे 113 रन से हार झेलनी पड़ी. उसे 359 रन का लक्ष्य मिला था. पहले टेस्ट में कीवी तेज गेंदबाजों ने मेजबान बल्लेबाजों की पोल खोली तो दूसरे में स्पिन के आगे उन्होंने घुटने टेक दिए. इस टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की कई खामियां सामने आईं. जानिए कौनसी वजहें रहीं जिनकी वजह से भारत को 18 सीरीज बाद घर पर हार झेलनी पड़ी.
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रोहित-कोहली की खराब फॉर्म
भारतीय टीम के दो सबसे सीनियर बल्लेबाज रोहित शर्मा और विराट कोहली दोनों लगातार रन बनाने में नाकाम रहे. रोहित इस सीरीज में चार पारियों में केवल 62 रन बना सके. बेंगलुरु टेस्ट की दूसरी पारी में 52 रन के अलावा बाकी तीन पारियों में वे दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए. इसमें एक डक भी शामिल है. कोहली का भी ऐसा ही हाल रहा. चार पारियों में उनके नाम 88 रन रहे. इनमें से 70 रन एक पारी में थे. कोहली पुणे टेस्ट की पहली पारी में फुल टॉस पर बोल्ड हो गए.
जसप्रीत बुमराह का विकेट न ले पाना
बुमराह इस सीरीज में लगातार विकेट नहीं ले सके. दो टेस्ट में 42.33 की औसत से तीन विकेट उनके नाम रहे. साल की शुरुआत में इंग्लैंड और पिछले महीने बांग्लादेश के खिलाफ जीत में उनका योगदान अहम था. तब उन्होंने नई गेंद के साथ पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग हासिल कर भारत को समय-समय पर विकेट दिलाए थे. लेकिन न्यूजीलैंड सीरीज में ऐसा नहीं हो सका.
अश्विन-जडेजा की स्पिन की धार कुंद
भारत की धाकड़ स्पिन जोड़ी आर अश्विन और रवींद्र जडेजा दोनों दबदबा कायम नहीं कर पाए. जडेजा और अश्विन दोनों को छह-छह विकेट इस सीरीज में मिले हैं. दोनों की विकेट लेने की औसत 40 के करीब रही जो उनकी करियर औसत से काफी ज्यादा है. इन दोनों का न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों ने शानदार तरीके से सामना किया.
बैटिंग का बार-बार ढहना
भारतीय बैटिंग ऑर्डर न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बार-बार ढहा है. बेंगलुरु में पहली पारी में टीम इंडिया 46 रन पर ढेर हो गई. दूसरी पारी में 53 रन में आखिरी सात विकेट गिरे थे. पुणे टेस्ट की पहली पारी में 156 रन पर भारत सिमट गया. दूसरी पारी में 118 रन में आखिरी आठ विकेट गिरे. इससे भारत को 12 साल बाद घर में हार मिली.
स्पिन न खेल पाना
भारतीय बल्लेबाजी की कभी पहचान थी कि स्पिन के सामने उसे कोई दिक्कत नहीं होती थी. शेन वॉर्न से लेकर मुथैया मुरलीधरन तक के सामने भारत के बल्लेबाज दबदबे से खेलते थे. लेकिन अब यह नहीं कहा जा सकता. पिछले कुछ सालों में लगातार देखा गया है कि विदेशी स्पिनर्स के सामने टीम इंडिया की बैटिंग लगातार ढही है. 2012 में जब इंग्लैंड से शिकस्त मिली थी तब भी ग्रीम स्वान और मोंटी पनेसर की स्पिन जोड़ी ने ही भारत को तबाह किया था. इसके बाद 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पुणे में स्टीव ओ'कीफ की फिरकी ने करिश्मा किया था. इस साल की शुरुआत में इंग्लिश स्पिनर्स के सामने भी भारत का ऐसा ही हाल हुआ था.
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