तमिलनाडु और नागालैंड के बीच रणजी ट्रॉफी का मुकाबला ड्रॉ हो गया. दोनों टीमों के बीच ये मैच बेंगलुरु में खेला गया जिसमें तमिलनाडु ने पहले बैटिंग की और 3 विकेट गंवा 512 रन ठोके. तमिलनाडु की ओर से जिन बल्लेबाजों का जलवा रहा उसमें विमल कुमार ने 189 रन और प्रदोष रंजन पॉल ने 201 रन की पारी खेली. वहीं आंद्रे सिद्धार्थ ने 65 रन बनाए. इसके जवाब में नागालैंड की पूरी टीम 446 रन पर ढेर हो गई. नागालैंड की ओर से जिस एक बैटर का जादू चला वो इम्लिवती लेमतुर थे. इस बैटर ने पहली बार रणजी ट्रॉफी में शतक ठोका है.
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कौन हैं इम्लिवती?
इम्लिवती दिमापुर के होप एकेडमी में एक फिजिकल एजुकेशन टीचर हैं जिन्होंने नागालैंड के लिए पहला डोमेस्टिक सीजन यानी की विजय हजारे ट्रॉफी खेलने के लिए 6 महीने की छुट्टी ली थी. उस दौरान इम्लिवती ने इसके लिए एकेडमी का शुक्रिया अदा भी किया था. इम्लिवती इसके बाद मेहनत करते रहे और अब उन्होंने रणजी में शतक जमा दिया है.
रैना- युवराज को मानते हैं आदर्श
इम्लिवती सुरेश रैना और युवराज सिंह को अपना आदर्श मानते हैं. पिछले कुछ सालों से वो अपनी नौकरी और क्रिकेट को मैनेज कर रहे हैं.
बिना कोचिंग के सीखा क्रिकेट
इम्लिवती ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने क्रिकेट करियर को लेकर कहा था कि, मेरी स्कूल ने मुझे छह महीने की छुट्टी दी है. मैंने हाल ही में शादी की है, अब बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं. स्कूल ने कहा है कि लौटने पर मुझे नौकरी वापस मिल जाएगी. मुझे अगले साल जॉइन करना है. वे क्रिकेट ट्रेनिंग भी शुरू करने की योजना बना रहे हैं.''
बता दें कि अपने इलाके के ज्यादातर बच्चों की तरह, लेमतुर ने क्रिकेट टीवी पर देखकर सीखा. लेम्तुर ने कहा कि, साल 2011 में भारत का विश्व कप जीतना उत्साह बढ़ाने वाला था. यहां कोई कोच नहीं था. हम टीवी पर क्रिकेट देखकर प्रेरित हुए. मैं 10 साल की उम्र से खेल रहा हूं, लेकिन मेरा कभी कोच नहीं रहा.
शतक के बाद क्या बोले इम्लिवती?
रणजी में शतक लगाने के बाद लेम्तुर ने कहा कि, "मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं. यह प्रोफेशनल क्रिकेट में मेरा पहला शतक है, इसलिए सपना सच होने जैसा लग रहा है.''. "जब मैं बल्लेबाजी करने आया, तो लंच तक करीब आधा घंटा बाकी था. एक गेंद मेरी बांह पर भी लगी, जिससे मैं और जोश में आ गया. उसके बाद मुझे पता था कि मुझे अपना सबसे बेस्ट देना है."
लेम्तुर ने अंत में कहा कि, "सच कहू, शुरू में मुश्किल थी, क्योंकि घर पर हम ऐसी क्वालिटी के गेंदबाजों का सामना नहीं करते. लेकिन विकेट सपाट थी और गेंद अच्छे से बैट पर आ रही थी, जिससे मुझे आत्मविश्वास से खेलने में मदद मिली. अगर ज्यादा उछाल या नमी होती, तो शायद और चुनौती होती.''
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