Sports Tak Special: कप्तान बड़ा या कोच! कौन होता है खेल के मैदान का मालिक जिसकी मर्जी बिना पत्ता तक नहीं हिलता

Difference between Coach and Captain: कप्तान का खिलाड़ियों पर कितना भरोसा है और वह किस तरह से उन्हें आजमाता है इससे उसकी टीम के नतीजे तय होते हैं. 

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नई दिल्‍ली. किसी भी युद्ध का नतीजा क्या होगा ये इस बात पर निर्भर करता है कि किस सेना का सेनापति कैसा है और उसका अपनी सेना के साथ तालमेल कैसा है, रणनीति को कितनी अच्छी तरह से लागू किया गया है. खेल वैसे तो युद्ध से बिल्कुल ही अलग है लेकिन कोई टीम अच्छी है या बुरी ये उसके कप्तान से पता चल जाता है. कप्तान का खिलाड़ियों पर कितना भरोसा है और वह किस तरह से उन्हें आजमाता है इससे उसकी टीम के नतीजे तय होते हैं. लेकिन जिस तरह से भांति-भांति के खेल हैं वैसे ही खेलों में कभी कप्तान तो कभी कोच ताकतवर होता है.

 

कुछ खेल ऐसे हैं जहां पर टीम के मामले में कप्तान ही सर्वोच्च ताकत होता है तो कुछ खेलों में कोच या मैनेजर मुखिया होता है और बिना उसकी मर्जी के कुछ नहीं होता. कुछ खेलों में कप्तान और कोच दोनों रहते हैं और दोनों की बराबर चलती है. तो स्पोर्ट्स तक की खास सीरीज में आज यहीं जानेंगे कि खेलों में कप्तान और कोच की क्या भूमिका और अहमियत होती है.


क्रिकेट
यह एक टीम गेम है जिसमें 11 लोग खेलते हैं. इस खेल में हरेक खिलाड़ी की भूमिका अहम होती है लेकिन मैदान में किसी भी फैसले को लेने की आखिरी चाबी कप्तान के पास होती है. कब कौनसा बॉलर ओवर करेगा, कौनसा फील्डर कहां खड़ा होगा, कौनसा बल्लेबाज किस नंबर पर खेलने के लिए उतरेगा. यह सब कप्तान के हाथ में होता है. टीम से जुड़े फैसले लेने और रणनीति बनाने में कोच और कप्तान मिलकर काम करते हैं. हालांकि आखिरी फैसला कप्तान का रहता है. कोच खिलाड़ियों की फिटनेस, किसी तकनीकी खामी को दूर करने, जरूरी दक्षता हासिल करने में मदद करते हैं. 

 

क्रिकेट में कप्तान और कोच के साथ ही उपकप्तान की उपयोगिता होती है. जब कप्तान मैदान से बाहर जाए या किसी मैच में खेल नहीं पाए तब उसके पास ही नेतृत्व होता है. दरअसल इस खेल में लीडरशिप ग्रुप टीम के प्रदर्शन में अहम योगदान रखता है. जिस टीम का लीडरशिप ग्रुप जितना बेहतर होगा और कोच व कप्तान के साथ तालमेल रहेगा वह टीम उतना ही अच्छा खेल दिखाती है.

 

मशहूर कप्तान- क्लाइव लॉयड, कपिल देव, स्टीव वॉ, टाइगर पटौदी, ब्रेंडन मैक्लम, रिकी पोंटिंग, ग्रीम स्मिथ, इमरान खान, अर्जुन रणतुंगा, एमएस धोनी, ऑएन मॉर्गन, विराट कोहली.

मशहूर कोच- जॉन बुकानन, गैरी कर्स्टन, ट्रेवर बेलिस, डेव व्हाटमोर, जॉन राइट.

 

फुटबॉल
इस खेल में कप्तान और कोच दोनों होते हैं. कोच एक तरह से मैनेजर की भूमिका में भी होता है. टीम के साथ कौनसा खिलाड़ी जुड़ेगा और कौनसा बाहर जाएगा यह सब कोच ही तय करता है. मैदान में कप्तान टीम का मुखिया होता है. टॉस के वक्त वह ही फैसला लेता है लेकिन बाकी रणनीतिक फैसले कोच करता है. खेल के दौरान कौनसा खिलाड़ी रिप्लेस होगा, क्या रणनीति होनी चाहिए यह वह लगातार मैदान के बाहर से खिलाड़ियों को बताता रहता है. ऐसे हालात में कप्तान केवल एक सामान्य खिलाड़ीभर होता है. किसी भी टीम की कामयाबी और नाकामयाबी का कोच से सीधा कनेक्शन होता है.

 

मशहूर कोच/मैनेजर- होजे मॉरिन्हो, पेप गॉर्डियोला, आर्सेन वेंगर, योआकिम लो, एलेक्स फर्ग्यूसन, यूर्गेन क्लोप.

 

बास्केटबॉल
इस खेल में कप्तान, कोच और जनरल मैनेजर किसी भी टीम के तीन निर्णायक पद होते हैं. जनरल मैनेजर जहां टीम से जुड़े मसलों को मुख्य रूप से संभालता है. साथ ही टीम बनाने में भी उसका रोल रहता है. कोच के जिम्मे रणनीति, खिलाड़ियों का सेलेक्शन वगैरह होता है. वहीं कप्तान मैदान में भूमिका निभाता है. लेकिन कप्तान की तुलना में कोच का काम और रुतबा ज्यादा है. वह लाइव मैच में खिलाड़ियों को खेल से जुड़े निर्देश देता रहता है. साथ ही रणनीतिक रूप से किस खिलाड़ी को कब बाहर बुलाना है, किसे भेजना है यह सब कोच का ही काम रहता है.

 

मशहूर कोच- फिल जैक्सन, पेट राइली, ग्रेग पोपोविच, लेरी ब्राउन.

मशहूर कप्तान- माइकल जॉर्डन, लेब्रॉन जेम्स, कोबे ब्रायंट, स्टीफन करी.

 

टेनिस
कप्तान और कोच की भूमिका की लिहाज से यह खेल काफी अनोखा है. इसमें ज्यादातर और मुख्य तौर पर सिंगल्स व डबल्स मुकाबले ही होते हैं जिनमें खिलाड़ी खुद से ही अपने फैसले लेते हैं. यहां कोच का कोई काम नहीं होता है. डेविस कप जैसे इवेंट्स में कप्तान होता है. लेकिन जरूरी नहीं है कि जो खेल रहा हो वही कप्तान हो. इसमें नॉन प्लेइंग खिलाड़ी भी कप्तान बन सकता है. आमतौर पर नॉन प्लेइंग खिलाड़ी ही कप्तान होता है. कप्तान का काम डेविस कप जैसे इवेंट्स में सिंगल्स और डबल्स के खिलाड़ियों के लाइनअप से जुड़ा रहता है.

 

एफ1
इस खेल में कोच या कप्तान का सिस्टम नहीं होता है. इस खेल में एक टीम में दो मुख्य रेसर होते हैं. इन्हें टीम से जोड़ने या हटाने का काम टीम प्रिंसिपल का होता है. रेस के दौरान अगर कोई ड्राइवर चल रहा है तो क्या उसे आगे बनाए रखना है या अपने दूसरे ड्राइवर को आगे जाने देना है इस तरह के निर्देश वही देता है. टीम से जुड़े बड़े फैसले उसके ही जिम्मे रहते हैं. हालांकि वह अपने फैसलों के लिए  सीईओ के प्रति जिम्मेदार होता है.

 

मशहूर टीम प्रिंसिपल-फ्रेंक विलियम्स, टोटो वूल्फ, क्रिस्टियन हॉर्नर, जीन टॉट, कॉलिन चेपमैन.

 

हॉकी
हॉकी भी बहुत हद तक कप्तान और कोच के मामले में फुटबॉल जैसा ही खेल होता है.इसमें कप्तान मैदान पर टीम का मुखिया होता है लेकिन कोच ही बड़े फैसले करता है. वह लाइव मैच में भी साइडलाइन से लगातार दिशा-निर्देश देता रहता है.खिलाड़ी को अंदर-बाहर करने के फैसले भी वही करता है.

 

मशहूर हॉकी कोच- रिक चार्ल्सवर्थ, हरेंद्र सिंह, रॉलेंट ऑटमंस, ग्राहम रीड, श्योर्ड मारिन

 

बैडमिंटन
इस खेल में अहम मुकाबले तो सिंगल्स और डबल्स के ही होते हैं. लेकिन थॉमस कप, उबर कप, कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स जैसे इवेंट में टीम स्पर्धाएं होती हैं जहां पर देशों के हिसाब से मुकाबले होते हैं और इनमें कप्तान नियुक्त किए जाते हैं. हालांकि कौनसा खिलाड़ी सिंगल्स खेलेगा और कौनसा डबल्स यह सब कप्तान और कोच मिलकर फैसला करता है. इसमें भी कोच साइडलाइन पर बैठा होता है और लगातार इनपुट देता रहता है.

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