'2011 वर्ल्ड कप नहीं बल्कि इस खिलाड़ी से नेट्स में बैटिंग कराना था सबसे बड़ा चैलेंज', गैरी कर्स्टन क्यों हो गए थे परेशान

गैरी कर्स्टन ने साल 2011 वर्ल्ड कप जीतने को सबसे बड़ा चैलेंज नहीं बताया है बल्कि उन्होंने कहा कि, मेरे लिए तो इशांत शर्मा को नेट्स के भीतर बैटिंग कराना सबसे बड़ा चैलेंज था.

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वर्ल्ड कप जीत के बाद टीम के साथ गैरी कर्स्टन

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गैरी कर्स्टन ने बड़ा खुलासा किया है

कर्स्टन ने कहा मेरे लिए इशांत शर्मा से बैटिंग कराना सबसे मुश्किल था

टीम इंडिया के पूर्व हेड कोच और 2011 वर्ल्ड कप चैंपियन बनाने वाले गैरी कर्स्टन ने बड़ा खुलासा किया है. साल 2008 अप्रैल से लेकर साल 2011 तक कर्स्टन टीम इंडिया के हेड कोच थे. इस दौरान उन्होंने टीम इंडिया को नंबर 1 टेस्ट टीम बनाया. वहीं 28 साल बाद वर्ल्ड कप खिताब जीतने में भी टीम इंडिया की मदद की. कोचिंग के दौरान कर्स्टन ने ये साबित किया कि टीम इंडिया को अब कमजोर नहीं समझा जा सकता. 

हालांकि इस दौरान उन्हें कई चैलेंज का सामना भी करना पड़ा था. सभी जानते हैं कि क्रिकेट में कोच का रोल एक हाई प्रोफाइल जॉब है जिसमें आपको काफी कुछ साबित करना पड़ता है. क्योंकि हार के बाद आपको ही टारगेट किया जाता है.

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इशांत को नेट्स में बैटिंग कराना था सबसे बड़ा चैलेंज: कर्स्टन

बुधवार को Yugen इंफ्रा में बात करते हुए कर्स्टन से साल 2011 के दौरान उनके सबसे बड़े चैलेंज को लेकर पूछा गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि, मेरे लिए टीम इंडिया को कोचिंग देना और टीम को चैंपियन बनाना सबसे बड़ा चैलेंज नहीं था. बल्कि मेरे लिए सबसे बड़ा चैलेंज इशांत शर्मा को नेट्स के भीतर बैटिंग कराना था. 

कर्स्टन ने कहा कि, "सबसे बड़ी चुनौती इशांत शर्मा को बल्ले और पैड के साथ नेट्स पर लाना और फिर वीवीएस लक्ष्मण के साथ इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में उन्हें 48 गेंदों का सामना करवाकर मैच जितवाना था. उनकी बल्लेबाजी पर काम करना मेरे लिए एक यादगार अनुभव था. मुझे यह बहुत पसंद आया क्योंकि उन्हें लगता था कि वह बल्लेबाजी नहीं कर सकते है. हालांकि वह अब भी उतनी अच्छी बल्लेबाजी नहीं कर सकते. लेकिन हमने उन्हें उस टेस्ट मैच में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद की."

कर्स्टन जिस मैच की बात कर रहे थे, वह भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1 से 5 अक्टूबर 2010 को मोहाली के पीसीए स्टेडियम में खेला गया था. उस मैच में, ऑस्ट्रेलियाई टीम ने चौथी पारी में भारत के सामने 216 रनों का लक्ष्य रखा था. भारतीय टीम 124/8 के स्कोर पर संघर्ष कर रही थी, तभी वीवीएस लक्ष्मण (79 गेंदों में नाबाद 73 रन) ने इशांत शर्मा (92 गेंदों में 31 रन) के साथ मिलकर नौवें विकेट के लिए 79 रन जोड़कर भारत को जीत के करीब पहुंचा दिया.

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