राजस्थान को उसके अपने ही खिलाड़ी ने इतिहास रचने से रोक दिया और उसने हरियाणा को अपनी कप्तानी में पहली बार विजय हजारे ट्रॉफी (Vijay Hazare Trophy) दिला दी. विजय हजारे ट्रॉफी के फाइनल में राजस्थान और हरियाणा की टीम राजकोट के मैदान पर आमने सामने थी. दोनों की नजर इस नेशनल टूर्नामेंट को पहली बार जीतकर इतिहास रचने की थी. एक समय राजस्थान पहली बार चैंपियन बनते हुए नजर आ रहा था, मगर राजस्थान के पूर्व खिलाड़ी अशोक मेनारिया (Ashok Menaria) ने हरियाणा को चैंपियन बना दिया. हरियाणा ने राजस्थान को 30 रन से हराकर अपना पहला खिताब जीत लिया.
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मेनारिया करीब 15 साल तक राजस्थान के लिए खेले. उन्होंने राजस्थान टीम की कप्तानी भी की और वो इसी साल हरियाणा से जुड़े थे और अपनी कप्तानी में उन्होंने हरियाणा को चैंपियन बना दिया. हरियाणा की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 8 विकेट पर 287 रन बनाए थे. अंकित कुमार ने 88 रन और कप्तान मेनारिया ने 96 गेंदों पर 70 रन ठोके. अंकित और मेनारिया की शानदार पारी के दम पर हरियाणा ने राजस्थान के सामने चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा दिया.
अभिजीत और कुणाल का संघर्ष
288 रन के टारगेट के जवाब में उतरी राजस्थान ने अपने चार विकेट तो महज 80 रन पर ही गंवा दिए थे, मगर अभिजीत तोमर के शतक ने जीत की उम्मीद जगा दी. तोमर ने 10 चौके और दो छक्के सहित 106 रन बनाए. तोमर के अलावा कुणाल सिंह राठौड़ ने 65 गेंदों में 79 रन बनाए. दोनों ने मिलकर राजस्थान की पारी को 200 रन के पार पहुंचा दिया था, मगर दोनों के पवेलियन लौटने के बाद राजस्थान की टीम मुश्किल में आ गई और 48 ओवर में 257 रन पर पूरी टीम ऑलआउट हो गई. राजस्थान के कप्तान दीपक हुड्डा फाइलन में गोल्डन डक हो गए. हरियाणा के सुमित कुमार प्लेयर ऑफ द मैच रहे. उन्होंने 34 रन पर तीन विकेट लिए. साथ ही 16 गेंदों पर नॉटआउट 28 रन बनाए.