नई दिल्ली. दुनिया में तकनीक के बढ़ते दखल और आधुनिकता का असर खेलों पर भी काफी पड़ा. क्रिकेट, फुटबॉल, और हॉकी जैसे खेलों में दिन प्रति दिन होते बदलावों और आविष्कारों ने उन्हें और भी रोमांचक बना दिया है. पांच दिन तक चलने वाले क्रिकेट टेस्ट मैच अब महज 20-20 ओवर के फॉर्मेट तक पहुंच गए हैं. हालांकि क्रिकेट के नियम तो बदले लेकिन उसका मैदान नहीं बदला. वहीं हॉकी में नियमों के साथ-साथ उसके मैदान भी समय-समय पर बदलते रहे. जिससे ये खेल अब और भी तेज हो गया है. ऐसे में क्रिकेट, हॉकी के साथ अन्य खेलों के मैदानों में कैसे बदलाव आया और उनकी लंबाई व चौडाई क्या होती है, स्पोटर्स तक स्पेशल में आज इन सभी सवालों के जवाब से आपको रूबरू कराते हैं.
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क्रिकेट
क्रिकेट की बात करें तो अंग्रजों ने इस खेल का प्याला पूरी दुनिया को पिलाया. भारत में भी इस खेल के दीवाने करोड़ों की संख्या में हैं. गुलामी की बेड़ियों के बीच भारतीयों ने न सिर्फ क्रिकेट का ककहरा सीखा बल्कि अंग्रेजों को उन्हीं के खेल में मात देने के लिए खिलाड़ियों ने दिन रात मेहनत भी की. 1721 से शुरू हुए इस खेल में आज भारत की वर्ल्ड क्रिकेट में तूती बोलती है. हालांकि क्रिकेट में होने वाले बदलावों के बारे में बात करें तो नियमों में कई बदलाव हो चुके हैं, मगर क्रिकेट के मैदान से छेड़छाड़ नहीं की गई. घास के मैदान से शुरू हुआ क्रिकेट आज भी घास के मैदान और मिट्टी की पिच पर ही खेला जाता है.
क्रिकेट के मैदान का आकार - गोलाकार
क्रिकेट के मैदान की मार्किंग - ICC के नियमानुसार गोल मैदान के दौरान किसी भी तरफ बाउंड्री लाइन 82.29 मीटर (90 यार्ड) से अधिक नहीं होनी चाहिए. जबकि 59.43 मीटर (65 यार्ड) से कम नहीं होनी चाहिए. ये दूरी पिच के सेंटर से तय की जाती है.
पिच की लंबाई - 20.12 मीटर (22 यार्ड)
पिच की चौड़ाई - 3.05 मीटर
पावरप्ले का घेरा - 27.4 मीटर (30 यार्ड)
स्टंप्स की उंचाई मैदान की सतह से - 71.12 सेंटीमीटर
दोनों बेल्स की कुल चौड़ाई - 22.86 सेंटीमीटर
क्रीज की गहराई - 1.22 मीटर
क्रिकेट मैदान की दर्शक क्षमता - 40 हजार से एक लाख तक
फील्ड हॉकी
आधुनिक युग में अगर सबसे अधिक किसी खेल में बदलाव हुआ तो उसमें फील्ड हॉकी का नाम भी शामिल है. हॉकी को और अधिक रोमांचक बनाने के लिए न सिर्फ इसके नियम बल्कि इसके पूरे मैदान तक में बदलाव कर दिया गया है. आधुनिक हॉकी की शुरुआत 19वीं सदी में इंग्लैंड से मानी जाती है. जिसके बाद ये खेल पश्चिमी यूरोप, दक्षिण एशिया, दक्षिणी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अर्जेंटीना और संयुक्त राज्य अमेरिका सभी जगह फलता फूलता चला गया. फील्ड हॉकी शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल कनाडा में हुआ. क्योंकि वहां बर्फ की सतह पर आइस हॉकी होती है. इसलिए मैदान में खेले जाने के कारण इसका नाम फील्ड हॉकी पड़ा. ऐसे में चलिए जानते हैं कि घास से शुरू होकर हॉकी के मैदान में कैसे बदलाव आए.
टर्फ का इस्तेमाल
क्रिकेट की तरह हॉकी को भी कई सालों तक घास के मैदान में खेला गया. लेकिन इस खेल में सबसे बड़ा बदलाव साल 1970 में देखने को मिला जब पहली बार पॉलियामाइड/नायलॉन से आर्टिफिशियल घास (एस्ट्रो टर्फ) की सतह का इस्तेमाल हॉकी खेलने के लिए किया गया. इन आर्टिफिशियल टर्फ में पानी का इस्तेमाल भी मैच से पहले, बीच में और मैच के बाद किया जाता है. जिससे खिलाड़ियों को बैलेंस बनाने में मदद मिलती है जबकि यह गेंद के साथ भागते समय चोट से बचाता है. इससे जहां हॉकी खेलने की गति बढ़ी. वहीं खिलाड़ियों का गेंद पर कंट्रोल अच्छी तरह से होने लगा. इस तरह टर्फ ने हॉकी के खेल में क्रांति ला दी. जिसके चलते इस टर्फ का इस्तेमाल साल 1976 ओलिंपिक गेम्स में भी किया गया.
नीली पिच
हॉकी का खेल पहले ग्रीन टर्फ पर खेल जाता था. लेकिन ब्रॉडकॉस्टर टीम के कहने पर इसका रंग नीला कर दिया गया. क्योंकि इसमें सफ़ेद गेंद कैमरे पर शानदार तरीके से चमकती नजर आती है. जिसके चलते लंदन ओलिंपिक साल 2012 से अभी तक नीले रंग की टर्फ पर हॉकी खेली जा रही है. इस तरह घास के मैदान से टर्फ ने हॉकी के पूरे स्वरूप को बदल डाला.
हॉकी के मैदान की मार्किंग
हॉकी के मैदान की लंबाई और चौड़ाई - 91.40 मीटर × 55 मीटर (आयताकार)
गोल पोस्ट की ऊंचाई - 2.14 मीटर
गोल पोस्ट की चौड़ाई - 3.66 मीटर
सेंटर लाइन मैदान के बीच में दोनों तरफ से - 45.7 मीटर
चौथाई लाइन - 22.9 मीटर की एक और लाइन जो मैदान को चार हिस्सों में बांटती है
पेनल्टी स्पॉट - गोल पोस्ट से 6.40 मीटर दूर
शूटिंग सर्किल - बेस लाइन से 15 मीटर की दूरी पर होता है.
पेनल्टी कॉर्नर - बैकलाइन के सेंटर से 4.975 मीटर और 9.975 मीटर की दूरी पर, 0.3 मीटर लंबी एक रेखा खींची जाती है.
औसतन हॉकी मैदान की दर्शक क्षमता - 15 से 20 हजार तक
फुटबॉल
फुटबॉल दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में शुमार है. फुटबॉल खेलने के नियम में भी समय-समय पर तमाम बदलाव हुए मगर इसका मैदान भी क्रिकेट की तरह घास का ही रहा. अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल की बात करें तो सभी मुकाबले घास के मैदानों पर ही खेले जाते हैं.
फुटबॉल मैदान की लंबाई - 120 मीटर
फुटबॉल मैदान की चौड़ाई - 90 मीटर
सेंटर लाइन - 45 मीटर
गोल पोस्ट की लंबाई और ऊंचाई - 7.32 मीटर, 2.44 मीटर
पेनल्टी पॉइंट - 11 मीटर गोल पोस्ट से दूरी
किक ऑफ - 9.15 मीटर का सर्किल
पेनल्टी एरिया बॉक्स - 16.5 मीटर लम्बाई और 40.3 मीटर चौड़ाई
पेनल्टी कॉर्नर झंडे की ऊंचाई - 1.5 मीटर मिनिमम
गोल एरिया - 18.32 मीटर चौड़ाई और 5.5 मीटर लंबाई
गेंद की परिधि 27 इंच से 28 इंच तक होती है.
गेंद का भार - 396 से 463 ग्राम
मैदान की दर्शक क्षमता - 60 से 90 हजार
बेसबॉल
क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी के साथ बेसबॉल का खेल भी दिन दूनी रात चौगुनी लोकप्रियता हासिल करता चला गया. उत्तरी अमेरिका में अप्रवासियों द्वारा शुरू किए गए बेसबॉल को 19वीं सदी के अंत तक अमेरिका का राष्ट्रीय खेल भी घोषित कर दिया गया. बेसबॉल का मैदान न तो गोलाकार और न ही आयताकार होता है. बल्कि ये खेल डायमंड के आकर के मैदान में खेला जाता है. अब बेसबॉल अमेरिका, कनाडा सहित दुनिया के तमाम देशों में खेला जाता है.
बेसबॉल की मार्किंग
होम बेस से सेकंड बेस - 38.8m
होम बेस से फर्स्ट बेस - 27.4m
सेकंड बेस से फर्स्ट बेस - 27.4m
होम बेस से थर्ड बेस - 27.4m
सेकंड बेस से थर्ड बेस - 27.4m
फर्स्ट बेस से सेकंड बेस - 27.4m
फर्स्ट बेस और थर्ड बेस - 38.8m.
पिचर जहां से गेंद फेंकता है - 5.49 मीटर सर्किल
बैटर बॉक्स से पिचर के बीच की दूरी - 18.39 मीटर
होम बेस से सबसे अंतिम पॉइंट फेंस - 76.2 मीटर
सेकंड बेस से फ़ाउल लाइन - 27.4m
पिचर सर्किल से ग्रास लाइन - 28.9 मीटर रेडियस का आर्क (हाफ सर्किल)
बैटर बॉक्स से पीछे फेंस की दूरी - 18.28 मीटर
आउटफील्ड ग्रास - 290 से 400 फिट
औसतन बेसबॉल मैदान की दर्शक क्षमता - 50 हजार से 60 हजार तक
टेनिस, बैडमिंटन और पहलवानी
क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी जहां एक ही तरह के मैदानों में खेले जाते हैं. वहीं टेनिस एकमात्र ऐसा खेल है जो सिंथेटिक कोर्ट, ग्रास कोर्ट और क्ले कोर्ट तीनों मैदानों में खेला जाता है. हालांकि तीनों मैदानों की लंबाई और चौड़ाई व नियम एक ही तरह के होते हैं. इसके अलावा बैडमिंटन भी सिंथेटिक कोर्ट तो रेसलिंग यानि पहलवानी भी मैट पर होती है. ऐसे में चलिए जानते हैं तीनों के कोर्ट की मार्किंग.
टेनिस
कुल एरिया - 260.87 स्क्वायर मीटर
टेनिस कोर्ट की लंबाई और चौड़ाई - 23.77 मीटर और 10.97 मीटर (डबल्स)
टेनिस कोर्ट की लंबाई और चौड़ाई - 23.77 मीटर और 8.23 मीटर (सिंगल्स)
बेस लाइन से नेट की दूरी - 11.88 मीटर
नेट की ऊंचाई - किनारे पर 1.07 मीटर और बीच में 0.914 मीटर
नेट से सर्विस लाइन की दूरी - 6.4 मीटर
सर्विस लाइन से अंतिम यानि बेस लाइन की दूरी - 5.48 मीटर
सिंगल्स साइड लाइन से डबल्स साइड लाइन के बीच की दूरी - 1.37 मीटर
सेंटर सर्विस लाइन से साइड लाइन के बीच की दूरी - 4.11 मीटर
औसतन टेनिस स्टेडियम की दर्शक क्षमता - 15 से 23 हजार तक
बैडमिंटन
बैडमिंटन कोर्ट की लंबाई और चौड़ाई - 13.4 मीटर और 6.1 मीटर (डबल्स)
बैडमिंटन कोर्ट की लंबाई और चौड़ाई - 13.4 मीटर और 5.18 मीटर (सिंगल्स)
बेस लाइन से नेट की दूरी - 6.71 मीटर
नेट की ऊंचाई - 1.55 मीटर
नेट से सर्विस लाइन की दूरी - 1.98 मीटर
सर्विस लाइन से अंतिम यानि बेस लाइन की दूरी - 4.76 मीटर
औसतन बैडमिंटन स्टेडियम की दर्शक क्षमता - 5 हजार
एमेच्योर रेसलिंग
कुल एरिया - 144 स्क्वायर मीटर
वर्गाकार मैट की लंबाई और चौड़ाई - 12 मीटर और 12 मीटर
बीच का सेंटर सर्किल डायमीटर - 1.5 मीटर
इनर सर्किल डायमीटर - 7 मीटर
आउटर सर्किल डायमीटर - 9 मीटर
प्रोटेक्शन एरिया - 1 मीटर
फ्री स्पेस - 2 मीटर
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